तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप में बचाव के प्रयास गुरुवार को भी जारी रहे। एएफपी न्यूज एजेंसी के मुताबिक हादसे में मरने वालों की संख्या 20,000 को पार कर गई है। यह संख्या 2011 में जापान में आई सुनामी और भूकंप में जान गंवाने वाले 18,500 को पीछे छोड़ दी। इस बीच बचावकर्मियों को घटना के चौथे दिन अब किसी के भी जीवित बच होने की उम्मीद बहुत कम रह गई है। लोग पूछ रहे हैं कि स्टेट कहां है। विशेषज्ञों के अनुसार, हालांकि लोग एक सप्ताह तक मलबे में जीवित रह सकते हैं, लेकिन भूकंप आने के बाद शुरुआती 72 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं।
आपदा में 450 किमी तक के क्षेत्र में 13.5 मिलियन लोग हुए प्रभावित
राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने बुधवार को स्वीकार किया कि दक्षिणी तुर्की में विनाशकारी भूकंप के बाद उनकी सरकार का संकट से निपटने की शुरुआती तैयारी कमजोर थी, बचाव दलों के धीमी रफ्तार से बेसहारा और अनाथ हुए लोग गुस्से में थे। तुर्की के अधिकारियों का कहना है कि पश्चिम में अदाना से लेकर पूर्व में दियारबाकिर तक लगभग 450 किमी तक फैले क्षेत्र में लगभग 13.5 मिलियन लोग प्रभावित हुए थे। सीरिया में भूकंप के मुख्य केंद्र से दक्षिण की ओर 250 किमी दूर हमा तक लोगों की जाने गईं।
भारत के बचाव दल काे लेकर छठा विमान भी पहुंचा
इस बीच, भारत के ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत भूकंप राहत प्रयासों के लिए बचाव कर्मियों, आवश्यक वस्तुओं और चिकित्सा उपकरणों को लेकर छठा विमान गुरुवार को तुर्की पहुंचा। छठी उड़ान में भूकंप प्रभावित देश के लिए अधिक बचाव दल, डॉग स्क्वायड और आवश्यक दवाएं थीं।
राष्ट्रपति एर्दोगन, जो मई में फिर से चुनाव में जाने के लिए कठिन लड़ाई का सामना कर रहे हैं, ने सोमवार के 7.8-तीव्रता के भूकंप के लिए संकट से निपटने में आपातकालीन व्यवस्था कम होने को स्वीकार किया, लेकिन कहा कि सर्दियों का मौसम एक वजह था। भूकंप ने हाटे (Hatay) के हवाई अड्डे पर रनवे को भी नष्ट कर दिया, जिससे संकट से निपटने में और बाधा आई।
उन्होंने बुधवार को हाटे प्रांत का दौरा करते हुए कहा, “इस तरह की आपदा के लिए तैयार रहना संभव नहीं है। हम अपने किसी भी नागरिक की उपेक्षा नहीं करेंगे।” उन्होंने आलोचकों पर भी पलटवार करते हुए कहा कि “बेईमान लोग” सरकार के कार्यों के बारे में “झूठ और बदनामी” फैला रहे हैं।