भारत पर लगाम लगाने के लिए PAK की चाल, चीन के साथ मिलकर बनाएगा सार्क से बड़ा संगठन
पाकिस्तान साउथ एशियन रीजन में भारत के वर्चस्व वाले 8 देशों के साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क) के मुकाबले साउथ एशियन इकोनॉमिक अलायंस को खड़ा करना चाहता है।

भारत द्वारा पाकिस्तान को अलग-थलग करने की नीति अपनाने के बाद अब पाकिस्तान भी भारत के प्रभाव को काउंटर करने की फिराक में है। पाकिस्तान साउथ एशियन रीजन में भारत के वर्चस्व वाले 8 देशों के साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क) के मुकाबले साउथ एशियन इकोनॉमिक अलायंस को खड़ा करना चाहता है। पाकिस्तान के पॉर्लियामेंट्री डेलीगेशन ने यह विचार पांच दिवसीय वॉशिंगटन यात्रा के दौरान रखे। पाकिस्तानी डेलीगेशन अभी न्यूयार्क में है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक मीडिया से बात करते हुए पाकिस्तान के सासंद मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा- ‘साउथ एशिया उभर रहा है। इस साउथ एशिया में चीन, ईरान और आसपास के पड़ोसी देश शामिल हैं। पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि नई व्यवस्था चीन के पक्ष में है।
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उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को साउथ एशिया को मध्य एशिया के साथ जोड़ने वाला अहम रूट बताया है। उन्होंने ग्वादर पोर्ट की ओर इशारा करते हुए कहा कि न केवल चीन के लिए बल्कि मध्य एशिया देशों के लिए भी यह अहम भूमिका निभा सकता है। हम चाहते हैं कि भारत भी इस व्यवस्था में शामिल हो, इसके लिए हमने भारत को ऑफर भी दिया था लेकिन भारत ने इस ऑफर को ठुकराते हुए कहा कि वह सार्क से मिलने वाले फायदे के साथ रहना चाहता है। एक वरिष्ठ डिप्लोमेट ने रिपोर्ट्स को कंफर्म करते हुए कहा कि सार्क के मौजूदा स्वरूप में भारत हमेशा प्रभावशाली रहेगा ऐसे में पाकिस्तान एक नई व्यवस्था को लेकर तेजी से विचार कर रहा है। एक अन्य राजनयिक का कहना है कि पाकिस्तान को इस नई व्यवस्था से उम्मीद है कि जब भारत हम पर कोई फैसला थोपेगा तो हम उसे काउंटर करने में आसानी होगी।
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डिप्लोमेटिक ऑब्जर्वर्स ने वॉशिंगटन में कहा कि यह प्रस्तावित व्यवस्था चीन के पक्ष में है। चीन भी साउथ एशिया रीजन में भारत के बढ़ते प्रभाव से परेशान और चिंतित है। पाकिस्तान मानना है कि इस फोरम को बनाने में चीन अहम रोल निभा सकता है। लेकिन उनको इस बात की चिंता है कि सार्क देश में इस नई व्यवस्था में कम दिलचस्पी दिखा सकते हैं।
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गौरतलब है कि 18 सितंबर को उत्तरी कश्मीर के उरी शहर में सुबह भारी हथियारों से लैस आतंकवादी एक बटालियन मुख्यालय में घुस गए थे। इस हमले में 19 जवान शहीद हो गए और 17 अन्य घायल हुए। इसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था। जिसके बाद कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्क देशों के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान नहीं जाएंगे। पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की रणनीति कामयाब रही और सार्क के कुछ अन्य देशों ने भी सार्क सम्मेलन से दूरी बना ली। भारत के बाद तीन और देशों अफगानिस्तान, भूटान और बांग्लादेश ने भी सार्क समिट में शामिल होने से इनकार दिया था। इसके बाद सार्क समिट की अध्यक्षता करने वाले नेपाल ने पाकिस्तान में होने वाले सार्क समिट को स्थगित कर दिया था।
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