आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान को किसी भी कीमत पर IMF (इंटरनेशनल मोनेटरी फंड) की मदद की दरकार है। लेकिन ये उतना आसान भी नहीं दिख रहा। फिलहाल IMF ने शाहबाज शरीफ सरकार के सामने एक अनोखी शर्त रख दी है। इसके तहत शाहबाज शरीफ को सभी सियासी दलों को एक मंच पर लाना होगा। सभी नेताओं से मशविरा करने के बाद IMF कोई फैसला करेगा। पाकिस्तान के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो शरीफ सरकार के लिए ये एक बड़ी मुश्किल है। इमरान खान को अपने साथ लेकर लाना शरीफ सरकार के लिए कोई आसान बात नहीं है।
IMF ने बेल आउट पैकेज के लिए पाकिस्तान के सामने कुछ और शर्तें भी रखी हैं। इनमें डिफेंस बजट में कटौती, एडिशनल टैक्स और इलेक्ट्रिसिटी टैरिफ को बढ़ाना शामिल है। संस्था ने पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशहाक डार के सामने अपनी शर्तें रख दी हैं। शरीफ सरकार उन पर अमल करेगी तभी IMF उनकी अपील पर गौर करेगा। पाकिस्तान के लिए बेल आउट पैकेज बहुत ज्यादा जरूरी है। अन्यथा उसके हालात भी श्रीलंका जैसे हो सकते हैं।
आईएमएफ के साथ पाकिस्तान ने पहले दौर की बातचीत मंगलवार को की थी। इसमें वित्त मंत्री ने IMF के पाकिस्तान मिशन के चीफ नाथन पोर्टर को वो सारी बातें बताईं जो हालात को सुधारने के लिए आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान ने किया है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक पोर्टर ने फिस्कल गैप को कम करने की नसीहत दी है। इशहाक डार से उनका कहना था कि पैसा चाहिए तो आपको ये सारे कदम उठाने ही होंगे। पाकिस्तान के लिए मुश्किल ये है कि नए टैक्स लागू करने के लिए वो संसद में आर्डिनेंस नहीं ला सकती। उसे बेल आउट पैकेज जल्दी से जल्दी चाहिए और संसद में आर्डिनेंस लाने के लिए कम से कम 14 दिनों का वक्त चाहिए।
पाकिस्तान को IMF से 2019 में 6 अरब डॉलर का बेल आउट पैकेज मिला था। बीते साल इसमें 1 अरब डॉलर का इजाफा हुआ था। पाकिस्तान के हालात इस समय बेहद खराब चल रहे हैं। महंगाई पिछले 48 सालों के उच्चतम दर पर है तो सरकार के पास इंपोर्ट के लिए भी पैसा नहीं बचा है। मदद की दरकार इतनी ज्यादा है कि पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ कह चुके हैं कि अगर बेल आउट पैकेज हासिल करने के लिए राजनीतिक कुर्बानी देनी भी पड़ी तो भी वो पीछे नहीं हटेंगे। पाकिस्तान के आम चुनाव कुछ माह बाद ही होने हैं। इमरान खान भी सरकार पर खासे हमलावर हैं।