पाकिस्तान इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ऐसे में आर्थिक संकट से उबरने के लिए पाक सरकार ने अमीरों पर 10 प्रतिशत का सुपर टैक्स लगाने का ऐलान किया है। इस बीच शरीफ सरकार ने लोगों से अनोखी अपील की है। पाकिस्तान की एक टॉप एजुकेशनल बॉडी ने रोजगार को बढ़ावा देने और चाय के आयात पर खर्च को कम करने के लिए लोगों को चाय की जगह लस्सी, सत्तू पीने का सुझाव दिया है।
एजुकेशनल बॉडी ने देश में लस्सी और सत्तू जैसे स्थानीय पेय की खपत को बढ़ावा देने का प्रस्ताव दिया है। पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी किए हैं कि वे चाय के बजाय स्थानीय पेय पदार्थ लस्सी या फिर सत्तू को बढ़ावा दें। इस फैसले के पीछे तर्क दिया गया है कि इससे न सिर्फ रोजगार बढ़ेगा, बल्कि देश में रोजगार भी बढ़ेगा और जनता के लिए आय भी पैदा होगी।
लस्सी और सत्तू को बढ़ावा: जियो टीवी की खबर के मुताबिक उच्च शिक्षा आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ शाइस्ता सोहेल ने सभी सरकारी यूनिवर्सिटीज के कुलपतियों को भेजे एक लेटर में उन्हें कम आय वाले ग्रुप और अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए नए तरीकों के बारे में सोचने के लिए कहा है। इस लेटर में सोहेल ने स्थानीय चाय बागानों और लस्सी व सत्तू जैसे पारंपरिक पेय को बढ़ावा देने का सुझाव दिया है जिससे रोजगार बढ़ेगा और चाय के आयात पर होने वाला खर्च भी कम हो जाएगा।
चाय की खपत में कटौती की अपील: इससे पहले पाकिस्तान के योजना, विकास और विशेष पहल मंत्री अहसान इकबाल ने नागरिकों से चाय की खपत में कटौती करने का आग्रह किया था ताकि देश आयात भुगतान को कम करने में मदद मिल सके। ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ अखबार के अनुसार, पाकिस्तान के लोगों ने वित्त वर्ष 2021-22 में 40 करोड़ अमेरीकी डॉलर की चाय का सेवन किया था।
अहसान इकबाल ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि दुनिया में चाय के सबसे बड़े आयातकों में से एक पाकिस्तान को इसके आयात के लिए पैसे उधार लेने पड़ते हैं। इकबाल ने कहा, “मैं देश से चाय की खपत में 1-2 कप की कटौती करने की अपील करता हूं क्योंकि हम कर्ज पर चाय का आयात करते हैं।”