Pakistan’s Economic Crisis: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय सबसे खराब दौर से गुजर रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif Prime Minister of Pakistan) ने अमेरिका से नरम स्थिति हासिल करने के लिए गुहार लगाई है, लेकिन वहां से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की सलाह दी गई है। पाकिस्तान के पास आयात के लिए केवल तीन हफ्ते का पैसा बचा है।
पाकिस्तान अब तक 23 बार IMF के सामने हाथ फैला चुका है
IMF का एक मिशन फिलहाल पाकिस्तान में है। सरकार देश के बेलआउट के लिए उससे बातचीत कर रही है। पाकिस्तान 1958 के बाद से अब तक 23 बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जाने का अवांछनीय रिकॉर्ड है बना चुकी है। यह इस अवधि के दौरान किसी भी देश के लिए सबसे अधिक बार आईएमएफ जाने का रिकार्ड है। इस बार पाकिस्तान की आईएमएफ के साथ अब तक की सबसे कठिन वार्ता हो रही है।
चालू वर्ष के बजट में 7.4 ट्रिलियन रुपये का राजस्व लक्ष्य
पाकिस्तान के चालू वर्ष के बजट में 7.4 ट्रिलियन रुपये का राजस्व लक्ष्य है, जिसमें से 52 प्रतिशत ऋण चुकाने के लिए और 33 प्रतिशत पेंशन सहित रक्षा के लिए आवंटित किया गया था। इसलिए, लगभग 90 प्रतिशत के कुल ऋण-से-जीडीपी अनुपात के साथ पाकिस्तान के पास बहुत कम राजकोषीय गुंजाइश है।
राजकोषीय घाटे के बारे में आईएमएफ की चिंताओं को पूरा करने के लिए सरकार कथित तौर पर 200 अरब रुपये के अतिरिक्त कर लगाने पर विचार कर रही है, जो ऋण सेवा लागत में तेज वृद्धि और कर संग्रह में कमी के कारण 4.9 के लक्ष्य के मुकाबले सकल घरेलू उत्पाद के 6.5 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।
इसकी संभावना नहीं है कि आईएमएफ एक उच्च राजकोषीय घाटे के लिए सहमत होगा और उच्च राजस्व संग्रह 800 अरब रुपये तक पर जोर देने की संभावना है। कुछ स्रोतों के अनुसार, बिजली और गैस टैरिफ में वृद्धि और खर्च में कटौती सहित।
देश का आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार तीन सप्ताह से भी कम के आयात के बराबर, केवल 3.2 बिलियन डॉलर के खतरनाक स्तर तक गिर गया है। देश के सामने हालात ऐसा है कि अगर आईएमएफ मिशन पाकिस्तान के साथ किसी समझौते पर पहुंचता भी है, तब भी पाकिस्तान को कोई पैसा मिलने में समय लग सकता है। मौजूदा 6.5 बिलियन डॉलर का आईएमएफ कार्यक्रम 2019 में शुरू किया गया था (इसे पिछले साल जून 2023 तक बढ़ाया गया था) और पाकिस्तान को पहले ही 3.9 बिलियन डॉलर मिल चुके हैं।