कुलभूषण जाधव के काउंसलर एक्सेस पर पलटा पाकिस्तान, भारत बोला- फिर जाएंगे ICJ
पाकिस्तान ने 2 सितंबर को जाधव को काउंसलर एक्सेस दिया था। पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में मुंह की खाने की बाद भारत को को काउंसलर एक्सेस पेशकश की थी।

भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव से जुड़े केस में पाकिस्तान ने यू-टर्न ले लिया है। गुरुवार (12 सितंबर, 2019) को पड़ोसी मुल्क ने जाधव के लिए दोबारा काउंसर एक्सेस से मना कर दिया। भारत की तरफ से इसी पर प्रतिक्रिया में कहा गया, “हम दोबारा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) जाएंगे। पाकिस्तान को आईसीजे का आदेश मानना चाहिए।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा है, “हमारी कोशिश रहेगी कि आईसीजे का फैसला पूरी तरह से लागू हो। हम कूटनीतिक माध्यमों के जरिए पाकिस्तान से लगातार संपर्क में रहेंगे।”
दरअसल, जम्मू-कश्मीर मसले पर देश से बौखलाए पाक ने जाधव को दूसरा काउंसलर एक्सेस देने से मना कर दिया। वहां के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल द्वारा जारी बयान में कहा गया, “जाधव को दूसरा काउंसलर एक्सेस नहीं दिया जाएगा।” इससे पहले, पाकिस्तान ने दो सितंबर को जाधव को काउंसलर एक्सेस दिया था। पाकिस्तान ने आईसीजे में मुंह की खाने की बाद भारत को काउंसलर एक्सेस पेशकश की थी। मोहम्मद फैसल ने ट्वीट किया था, “भारतीय जासूस कमांडर कुलभूषण जाधव को राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन, आईसीजे के फैसले और पाकिस्तान के कानूनों के अनुरूप राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी।”
बाद में भारतीय अधिकारी गौरव अहलूवालिया कुलभूषण जाधव से करीब एक घंटे तक मुलाकात की थी। भारत के विरोध के बावजूद जेल में पाकिस्तानी अधिकारी भी मौजूद थे। यही नहीं, अधिकारी तो वहां मौजूद थे ही इसके अलावा इस मुलाकात की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई। मुलाकात से पहले भारत ने उम्मीद जताई थी कि पाकिस्तान उचित माहौल सुनिश्चित करेगा, ताकि स्वतंत्र, निष्पक्ष और सार्थक मुलाकात हो सके।
मुलाकात के बाद पाकिस्तान ने एक बयान जारी कर कहा कि जाधव और भारतीय अधिकारी की मुलाकात की रिकॉर्डिंग ‘पारदर्शिता सुनिश्चित करने’ के लिए की गई। वहीं भारत ने इस मुलाकात के बाद अपने बयान में कहा कि ‘कुलभूषण जाधव भारी दबाव में हैं, झूठे बयान देने के लिए पाकिस्तान उन्हें लगातार मजबूर कर रहा है।’ बता दें कि जाधव (49) को ‘जासूसी और आतंकवाद’ के आरोप में पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने अप्रैल, 2017 में मौत की सजा सुनाई थी। उसके बाद भारत ने आईसीजे पहुंचकर उनकी मौत की सजा पर रोक लगाने की मांग की थी।
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