पाकिस्तान के पेशावर में एक आतंकवाद-रोधी अदालत ने व्हाट्सएप ग्रुप पर ईशनिंदा से जुड़ा कंटेंट शेयर करने के आरोप एक शख्स को मौत की सजा सुनाई है। सैयद मुहम्मद जीशान नाम का शख्स 24 मार्च को इलेक्ट्रॉनिक अपराध निवारण अधिनियम और आतंकवाद विरोधी अधिनियम (एटीए) के तहत दोषी ठहराया गया था।
पाकिस्तानी दंड संहिता (पीपीसी) और एटीए की विभिन्न धाराओं के तहत मरदान शहर के निवासी जीशान पर 12 लाख का जुर्माना उसे कुल 23 साल की कैद की सजा सुनाई गई है।
क्या था मामला?
पंजाब के तालागंग के एक निवासी ने इस्लामाबाद में संघीय जांच एजेंसी की काउंटर टेररिज्म विंग में सैयद मुहम्मद जीशान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में कहा गया था की जीशान ने इस्लाम की पवित्र हस्तियों के खिलाफ आपत्तीजनक और ईशनिंदा से जुड़ा पोस्ट शेयर किया था। जीशान को वर्ष 2021 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह पेशावर केंद्रीय कारागार में बंद है। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को पेशावर अदालत ने कहा कि आरोपी को दी गई मौत की सजा किसी भी अपील के फैसले के अधीन होगी।
ईशनिंदा से जुड़े मामले
पाकिस्तान में पहले भी ईशनिंदा के आरोपों ने पाकिस्तान में मॉब लिंचिंग और हिंसा को कई बार भड़काया है। सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज की 2022 की एक रिपोर्ट ने साबित नहीं के मुताबिक 1947 के बाद से 1,415 आरोपों और ईशनिंदा के मामलों में 89 नागरिक मारे गए हैं।
ईशनिंदा का सीधा मतलब किसी धर्म या मजहब की आस्था का मजाक बनाना है। इसके तहत किसी धर्म प्रतीकों, चिह्नों, पवित्र वस्तुओं का अपमान करना, ईश्वर के सम्मान में कमी या पवित्र या अदृश्य मानी जाने वाली किसी चीज के प्रति अपमान करना ईशनिंदा माना जाता है। ईशनिंदा को लेकर कई देशों में अलग-अलग कानून हैं। कई देशों में तो इसके लिए मौत की सजा तक का प्रवधान है।