मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) को पाकिस्तान के संस्थापक या ‘महान नेता’ के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने एक आंदोलन का नेतृत्व किया जिसने भारत में ब्रिटिशराज के दौरान एक संप्रभु इस्लामी राज्य के विचार को जन्म दिया लेकिन वह पाकिस्तान (Pakistan) शब्द का इस्तेमाल करने वाले पहले व्यक्ति नहीं थे।
चौधरी रहमत अली ने पहली बार किया Pakistan शब्द का इस्तेमाल
जिस आदमी ने पहली बार पाकिस्तान शब्द का इस्तेमाल किया वह चौधरी रहमत अली (Choudhary Rehmat Ali) हैं। उन्हें पाकिस्तान शब्द का पहली बार इस्तेमाल करने का श्रेय दिया जा सकता है। रहमत अली खुद को पाकिस्तान राष्ट्रीय आंदोलन के संस्थापक के रूप में प्रस्तुत करते हैं। 28 जनवरी, 1933 को कैंब्रिज में लॉ स्टूडेंट ने पहली बार पश्चिमी और उत्तरी भारत के मुस्लिम होमलैंड्स का वर्णन करने के लिए ‘पाकिस्तान’ शब्द का इस्तेमाल किया।
28 जनवरी 1933 को उन्होंने ‘Now or Never: Are we to live or perish forever’ शीर्षक से एक पुस्तिका जारी की। इसमें उन्होंने पाकिस्तान के उन तीस मिलियन मुसलमानों की ओर से एक जोरदार अपील की, जो भारत की पांच उत्तरी इकाइयों में रहते थे। उन्होंने अपील उठाई कि पाकिस्तान को अलग राष्ट्र की मान्यता मिले। साथ ही पाकिस्तान को भारत से अलग धार्मिक, सामाजिक और ऐतिहासिक आधारों पर एक अलग संघीय संविधान की मान्यता दी जाए।
India में पहले से मौजूद थे कई राष्ट्र
कई इतिहासकारों के अनुसार इसे पाकिस्तान की उत्पत्ति के के विचार के रूप में देखा जा सकता है। एक विचार जो 1940 के दशक तक मुख्यधारा में आ गया। रहमत अली की अपील के मुताबिक, ब्रिटिश भारत एक राष्ट्र नहीं था, बल्कि इतिहास में पहली बार अंग्रेजों द्वारा बनाए गए राज्य का पदनाम था। इस प्रकार रहमत अली ने तर्क दिया कि इतिहास की शुरुआत से ही, उस समय के भारत में पहले से ही विभिन्न राष्ट्र मौजूद थे, जिनमें से एक उनका अपना था।
यह पाकिस्तान जिसे रहमत अली ने अपना कहा था उसमें भारत के पांच उत्तरी प्रांत शामिल थे। पंजाब (P), उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत या अफगान प्रांत (A), कश्मीर (K), सिंध (S) और बलूचिस्तान (Tan)
1947 में सच हुआ Choudhary Rehmat Ali का सपना
उन्होंने तर्क दिया कि पाकिस्तान का निर्माण हिंदुओं सहित सभी भारतीयों के लिए बेहतर होगा। रहमत अली ने पूछा, “क्या भारत को एक राष्ट्र बनाने के लिए हमें अपनी राष्ट्रीयता का त्याग करना वास्तव में वांछनीय है?” रहमत अली के पैम्फलेट को ज्यादा तरजीह नहीं मिली। के के अजीज द्वारा उनकी जीवनी के अनुसार, 1934 में जब वह जिन्ना से मिले और उन्हें अपने विचार प्रस्तुत किए तो जिन्ना ने इसे समर्थन दिया। 1940 और 1943 के बीच, जिन्ना और अन्य मुस्लिम लीग के नेताओं द्वारा अपने भाषणों और पत्राचार में पाकिस्तान” शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा। 1947 में, अली का सपना सच हो गया।
(story by Arjun Sengupta)