अगर वायरस नहीं लेता है जान, तो जलवायु परिवर्तन हमें मार डालेगा- UN नेताओं ने चेताया
प्रकृति के इसी भीषण कहर का नमूना साइबेरिया में देखने को मिल रहा है क्योंकि इस साल साइबेरिया में अब तक का सर्वाधिक तापमान दर्ज किया गया है,साथ ही ग्रीनलैंड और कनाडा में ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूट कर समुद्र में मिल गया है।

प्रकृति के आगे किसी भी व्यक्ति की मनमानी नहीं चलती और इस वर्ष प्रकृति बड़े बड़े खेल खेल रही है। तापमान और वर्षा दोनों ने आमजन पर कहर ढा रखा है। प्रकृति के इसी भीषण कहर का नमूना साइबेरिया में देखने को मिल रहा है क्योंकि इस साल साइबेरिया में अब तक का सर्वाधिक तापमान दर्ज किया गया है,साथ ही ग्रीनलैंड और कनाडा में ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूट कर समुद्र में मिल गया है।
जलवायु परिवर्तन के आगे कोई नहीं टिकता यह तो सब बखूबी जानते है। इसलिए विश्व के विभिन्न नेताओं ने प्रकृति के ऐसे परिवर्तन पर चिंता जताते हुए संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि अगर हम कोविड से बचकर ज़िंदा रह जाते है तो भी जलवायु परिवर्तन हमारी जान ले लेगा। इस प्रकार की चिंता जताने वाले नेताओं में सबसे आगे फिजी के प्रधानमंत्री है। प्रधानमंत्री फ्रैंक बैनमारामा ने चिंता जताते हुए सबसे पहले अमेरिका के जंगलों में लगी आग का जिक्र किया और कहा , ‘‘हम पर्यावरणीय विनाशलीला का एक प्रारूप देख रहे हैं। ’’
प्रधानमंत्री बैनमारामा यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने ग्रीनलैंड के ग्लेशियर का भी ज़िक्र किया जिसका एक बड़ा टुकड़ा टूट कर समुद्र में मिल गया है और वह कई द्वीपीय देशों के आकार से बड़ा था। बता दें कि इस कोविड-19 की भीषण महामारी को मद्देनजर रखते हुए संयुक्त राष्ट्र वैश्विक जलवायु सम्मेलन,वर्ष 2021 के अंत तक के लिये टाल दिया गया है।
इसी प्रकार की चिंता जताते हुए छोटे द्वीपीय देशों के गठबंधन और अल्प विकसित देशों के समूह ने कहा, ‘‘यदि दुनिया अपने मौजूदा ढर्रे पर चलती रही, तो अगले 75 वर्षों में कई सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र में नहीं दिखेंगे।’’ कोरोना के संक्रमण से तो प्रशांत महासागर के द्वीपीय देश पलाउ वंचित है और यह अच्छी बात भी है कि वहां कोरोना का एक भी मामला नहीं आया है लेकिन पलाउ के राष्ट्रपति टॉमी ई रामेंगेसाउ जूनियर ने चेतावनी दी है की समुद्र के बढ़ते जल स्तर से उनका देश डूब जाएगा।
छोटा देश तुवालू भी कोरोना संक्रमण से मुक्त हो गया है लेकिन यह द्वीपीय देश अब दो चक्रवाती तूफानों से उबर रहा है। तुवालू का सर्वाधिक ऊंचा स्थान समुद्र स्तर से कुछ ही मीटर ऊपर है जिसपर इस देश के नेताओं की नजरें बनी हुई है और लगातार चिंता बढ़ती जा रही है।