आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में इन दिनों इस कदर खौफ का माहौल है कि जासूस होने के शक में दर्जनों आतंकियों को मारा जा चुका है। यह सब शुरू हुआ इस साल मार्च के बाद से। मार्च में आईएसआईएस का एक वरिष्ठ कमांडर अबू हयजा अल तुनसी गाड़ी से उत्तरी सीरिया में जा रहा था। इसी दौरान अमेरिका के ड्रोन हमले में वह मारा गया। वह ट्यूनीशिया का रहने वाला था। उसके मारे जाने के बाद आईएस में भेदियों को डर घर गया। आतंकी संगठन के आलाकमान ने भेदियों की पहचान करने के आदेश जारी कर दिए।
कुर्दिश कमांडर्स, इराकी खुफिया अधिकारियों और आईएस में काम करने वाले इराकी सरकार के एक गुप्तचर ने बताया कि भेदिया या जासूस होने के शक में 38 आतंकियों को मार दिया गया। कइयों को जेल में डाल दिया गया जबकि कई जासूस होने के शक में मार दिए जाने के डर से भाग निकले। आईएस के लड़ाकों में भेदिया होने का भ्रम बुरी तरह से घर कर चुका है। एक मोबाइल फोन या इंटरनेट कनेक्शन से भी संदेह हो जाता है। डराने के लिए आईएस मारे गए संदिग्ध भेदियों के शवों को सार्वजनिक करती है। बताया जा रहा है कि कुछ संदिग्धों को तेजाब की टंकियों में डालकर मारा गया।
इस्लामिक स्टेट पर नजर रखने वाले एक विरोधी कार्यकर्ता बबारस अल तलावी ने बताया कि आईएस के कमांडर अब इराक से सीरिया आने से बचने लगे हैं। उन्हें हवाई हमलों में मारे जाने का डर है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में आईएस के टॉप कमांडर्स को मारा जा चुका है। इनमें ‘युद्ध मंत्री’ ओमार अल शिशनी, कुख्यात इराकी आतंकी शकीर वुहायेब, वित्तीय अधिकारी हाजी इमान, अबु अला अल अफारी शामिल हैं।