पठानकोट आतंकवादी हमले पर पाकिस्तान में चल रही जांच पर करीबी नजर रखने का दावा करते हुए भारत ने गुरुवार को कहा कि वह उम्मीद करता है कि इस्लामाबाद हमले के गुनाहगारों को इंसाफ के कठघरे तक लाने के लिए प्रभावी कार्रवाई करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए खारिज कर दिया कि पाकिस्तान के चारसड्डा में एक यूनिवर्सिटी पर हुए हमले में भारत का हाथ है।
बुधवार को हुए इस फिदायीन हमले में कम से कम 20 लोग मारे गए थे जिसमें ज्यादातर छात्र थे। उन्होंने कहा- पाकिस्तान ने भी आधिकारिक तौर पर यह मुद्दा हमारे सामने नहीं उठाया है। दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और विदेश सचिवों के एक-दूसरे के संपर्क में होने का जिक्र करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि एस जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष एजाज अहमद चौधरी आपसी सुविधा से तारीख तय करेंगे। हालांकि उन्होंने समय सीमा बताने से इनकार कर दिया।
पठानकोट आतंकवादी हमले की जांच के लिए एक पाकिस्तानी एसआइटी के भारत आने के मुद्दे पर स्वरूप ने कहा कि एक जांच टीम के संभावित तौर पर यहां आने को लेकर पाकिस्तान सरकार की ओर से दिए गए पहले बयान के बाद भारत सरकार को कोई सूचना नहीं मिली है और ठोस प्रस्ताव का इंतजार किया जा रहा है।
प्रवक्ता ने कहा- सैद्धांतिक तौर पर हमने एसआइटी भेजने पर विचार के पाकिस्तान सरकार के फैसले का स्वागत किया है। बाकी तो ब्योरे की बातें हैं। वे क्या देख सकते हैं? वे कहां जा सकते हैं? कार्य क्षेत्र क्या होगा? इन पहलुओं पर दोनों देशों की सुरक्षा एजंसियों को काम करने की जरूरत है, बशर्ते पाकिस्तान सरकार टीम भेजने का फैसला करे। स्वरूप से रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर के उस बयान के बारे में पूछा गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की ओर से प्रस्तावित जेआइटी को पठानकोट एयरबेस का दौरा करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा- दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने मुलाकात नहीं की है, लेकिन वे संपर्क में रहे हैं। हम पठानकोट आतंकवादी हमले की पाकिस्तान में चल रही जांच में प्रगति पर करीबी नजर रख रहे हैं। हम सभी गुनाहगारों के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से प्रभावी कार्रवाई की अपेक्षा कर रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को ऐसी सूचनाएं मुहैया कराई हैं जिनसे वह कार्रवाई कर सकता है। उन्होंने कहा- हम विश्वसनीय और विस्तृत कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं ताकि पठानकोट आतंकवादी हमले के गुनाहगारों को कठघरे में खड़ा किया जा सके।
यह पूछे जाने पर कि क्या पठानकोट और अफगानिस्तान में भारतीय मिशनों के पास हुए हमले किसी आतंकवादी संगठन की समन्वित योजना के हिस्से थे, इस पर उन्होंने कहा कि यह कहना मुश्किल होगा लेकिन एक चीज साफ है कि आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है। अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद का फर्क खत्म करना चाहिए।