विदेशी मुद्रा की तंगी से जूझ रहे श्रीलंका की मदद के लिए भारत सरकार ने हाथ बढ़ाया है। इसके तहत सरकार ने 40,000 मीट्रिक टन डीजल की खेप सोमवार रात श्रीलंका भेजी। कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने एक ट्वीट करके इसकी पुष्टि की है। ट्वीट में लिखा, “श्रीलंका को ताकत !!! भारतीय सहायता के तहत आपूर्ति की गई 40,000 मीट्रिक टन डीजल की एक खेप कल शाम कोलंबो पहुंच गई।”
पिछले काफी समय से श्रीलंका जबर्दस्त आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति को ध्यान में रखते हुए, नई दिल्ली ने श्रीलंका के लोगों को उनकी मौजूदा कठिनाइयों को दूर करने में मदद करने के लिए अकेले इस वर्ष 3.5 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की सहायता प्रदान की है।
भारत और श्रीलंका ने 2 फरवरी, 2022 को पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद के लिए 500 मिलियन अमरीकी डालर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। श्रीलंका हाल के दिनों में अपने विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट के बाद आयात के लिए भुगतान करने को संघर्ष कर रहा है। विदेशी मुद्रा की कमी के संकट से गुजर रहे इस द्वीपीय राष्ट्र को ईंधन आयात के लिए 500 मिलियन की भारतीय क्रेडिट लाइन से नया जीवन मिला है। इससे पहले भी भारत ने 23 मई को श्रीलंका को लगभग 40,000 मीट्रिक टन पेट्रोल पहुंचाया था।
श्रीलंका 1948 में स्वतंत्र होने के बाद से अपने अब तक के सबसे बुरे दौर का सामना कर रहा है। ऐसे में अगर उसको पड़ोसियों और विदेशी राष्ट्रों से मदद न मिली तो हालात काबू से बाहर हो जाएंगे। श्रीलंका के नागरिक उड्डयन निदेशक रेहान वन्नियप्पा ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “हमने श्रीलंका के लिए परिचालन करने वाले सभी एयरलाइंस से कहा है कि वे जरूरत भर के ईंधन लेकर आएं, क्योंकि हमारे पास ईंधन की भारी कमी है, और हमें स्थिति का प्रबंधन करना पड़ रहा है।” उन्होंने कहा, “एयरलाइंस कुछ अतिरिक्त आपूर्ति ला रही हैं, जबकि हम अपने स्टॉक से भी आपूर्ति कर रहे हैं।”
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने बुरे दौर में भारत से मिली मदद के लिए अपनी ओर से आभार प्रकट किया। ट्विटर पर उन्होंने लिखा, “इस कठिन अवधि के दौरान मैंने भारत द्वारा दिए गए समर्थन के लिए अपने देश की ओर से सराहना व्यक्त करता हूं। मैं दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत होने की आशा करता हूं।”