भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर आयोग (USCIRF) की रिपोर्ट पर कड़ा ऐतराज जताया है और इसे पक्षपाती और गलत बताया है। अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) द्वारा जून में जारी की गई रिपोर्ट में अमेरिकी प्रशासन को धार्मिक स्वतंत्रता के संदर्भ में भारत और कई अन्य देशों को ‘विशेष चिंता वाले देशों’ के रूप में नामित करने की सिफारिश की गई थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा, “हमने भारत को लेकर अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर आयोग की पक्षपातपूर्ण और गलत रिपोर्ट को देखा है। इस तरह की रिपोर्ट्स तस्दीक करती है कि इसे तैयार करने वालों के पास भारत और इसके संवैधानिक ढांचे, इसकी बहुलता और इसके लोकतांत्रिक लोकाचार की समझ काफी कम है।”
अरिंदम बागची ने कहा कि अफसोस की बात ये है कि USCIRF एक एजेंडे के तहत अपने बयानों और रिपोर्टों में बार-बार तथ्यों को गलत तरीके से पेश करना जारी रखे हुए है। इस तरह की रिपोर्ट किसी संगठन की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करने वाली है।
जून में जारी की गई इस रिपोर्ट में अमेरिका के बाइडेन प्रशासन को भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और 11 अन्य देशों को धार्मिक स्वतंत्रता के संदर्भ में ‘विशेष चिंता वाले देशों’ के रूप में नामित करने की सिफारिश की गई थी। भारत ने इस रिपोर्ट पर अपनी कड़ी आपत्ति जाहिर की है। हालांकि, बाइडेन प्रशासन आयोग की इन सिफारिशों को मानने के लिए अमेरिका के बाइडेन सरकार कहीं से भी बाध्य नहीं है।
इसके पहले, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी पर सयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने भारत पर टिप्पणी की थी, जिसका विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया था। अरिंदम बागची ने यूएन की टिप्पणी को पूरी तरह से गलत और अवांछनीय करार देते हुए खारिज कर दिया था। भारत ने यूएन को जवाब देते हुए कहा था कि यह टिप्पणी देश की स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करती है।