आतंकपरस्त होने के आरोप को पाकिस्तान भले सिरे से खारिज करता आया हो लेकिन पाकिस्तान आतंक का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर रहा है इसका और सबूत सामने आया है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने इस बात को स्वीकार किया है कि उनके कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने जैश-ए-मुहम्मद की मदद के जरिए भारत में आत्मघाती हमले कराए थे।
पीटीआई के मुताबिक हम न्यूज के पाकिस्तानी पत्रकार नदीम मलिक से फोन पर साक्षात्कार के दौरान मुशर्रफ ने आतंकियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को लेकर तहरीक ए इंसाफ के कदम की सराहना की। परवेज मुशर्रफ ने कहा कि मैं हमेशा से जैश-ए-मुहम्मद को आतंकी संगठन मानता आया हूं। दिसंबर 2003 में पाकिस्तान के झंडा चीची में मुशर्रफ के काफिले पर जैश ने फिदायीन हमला करवाया था, जिसमें वे बाल-बाल बचे थे।
2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे मुशर्रफ ने जैश पर बैन लगाने की दो बार कोशिश भी की थी। विश्व स्तर पर अन्य देशों का दबाव झेल रहे पाकिस्तान की सरकार ने मंगलवार जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भाई और बेटे सहित 44 दहशतगर्द को गिरफ्तार किया।
मुशर्रफ ने अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहते हैं कि मेरे कार्याकाल के दौरान दोनों देश की खुफिया एजेंसियां एक दूसरे के मुल्क में बम हमले करवा रही थी। इस दौरान मैंने भी जैश-ए-मुहम्मद के खिलाफ प्रतिबंध को लेकर ज्यादा जोर नहीं दिया।बता दें कि मुशर्रफ के बयान पाकिस्तानी सेना के बयान में विरोधाभास देखने को मिल रहा है। पाकिस्तानी सेना का कहना है कि जैश ए मुम्मद जैसा कोई संगठन देश में है ही नहीं।
वहीं,बीते सप्ताह पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमहूद कुरैशी ने कहा था कि पाकिस्तान सरकार जैश ए मुहम्मद के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में है। पुलवामा हमले को लेकर जैश-ए-मुहम्मद ने बताया है कि उनका इस हमले को लेकर कोई लेना देना नहीं है। कुरैशी ने यह भी कहा था कि अजहर पाकिस्तान में ही है और वह बहुत बीमार है।