‘आईएस को ‘हराने और तबाह’ करने के लिए आख़िरी कदम उठा रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप’
ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा टीम को आईएस को हराने के लिए 30 दिनों के भीतर एक कार्य योजना तैयार करने के लिए कहते हुये एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आईएसआईएस को ‘हराने और तबाह’ करने के लिए निर्णायक कदम उठा रहे हैं। व्हाइट हाउस ने इस बात की मंगलवार (31 जनवरी) को जानकारी देते हुये खतरनाक आतंकी समूह के विनाश को ‘मानवीय रूप से अत्यावश्यक’ बताया। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘अमेरिका निर्णायक कदम अवश्य उठाएगा और राष्ट्रपति जरूरी कदम उठा रहे हैं।’ ट्रंप ने पिछले सप्ताह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम को आईएसआईएस को हराने के लिए 30 दिनों के भीतर एक कार्य योजना तैयार करने के लिए कहते हुये एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया था।
उन्होंने कहा कि व्यापक रणनीति और योजना में आईएसआईएस से संबंधित किसी भी नियम में बदलाव करने की सिफारिश, सार्वजनिक कूटनीति, सूचना अभियान और साइबर रणनीति से संबंधित मुद्दों को शामिल किया जाएगा ताकि आतंकी समूह और उसकी कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा को अलग-थलग किया जा सके। स्पाइसर ने कहा कि इसके तहत आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में नये गठबंधन सहयोगियों की पहचान की जाएगी और नई नीतियों को भी शामिल किया जाएगा। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने कहा, ‘राष्ट्रपति का यह ज्ञापन एक गंभीर बयान है कि राष्ट्रपति का स्पष्ट उद्देश्य आईएसआईएस को हराना और तबाह करना है और हम इसे व्यवस्थित तरीके से करने जा रहे हैं।’
इससे पहले सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध के शासकीय आदेश का बचाव करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार (30 जनवरी) को जोर देकर कहा कि ‘यह प्रतिबंध मुस्लिमों पर नहीं है’ जैसा कि मीडिया द्वारा गलत प्रचार किया जा रहा है। ट्रंप ने शुक्रवार (27 जनवरी) को उस आदेश पर हस्ताक्षर किए थे जिसके चलते सीरिया के शरणार्थियों समेत छह अन्य देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी लग गई। उनके इस कदम की खासी आलोचना हुई। इन सात देशों में इरान, ईराक, लीबिया, सूडान, यमन, सीरिया और सोमालिया हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह मुस्लिमों पर प्रतिबंध नहीं है जैसा कि मीडिया गलत प्रचार कर रहा है। यह धर्म के बारे में भी नहीं है। यह आतंकवाद और हमारे देश को सुरक्षित रखने को लेकर है। दुनिया भर में 40 से अधिक देश मुस्लिम बहुल हैं जो इस आदेश से प्रभावित नहीं होंगे।
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