एक महिला बार-बार Covid-19 पॉजिटिव हो रही थी। बीबीसी की रिपोर्ट मुताबिक, दो-चार बार नहीं बल्कि वह लगातार 8 महीने तक Covid-19 पॉजिटिव आती रही। इस महिला के शरीर में कोरोना वायरस 30 बार जेनेटिकली शिफ्ट (म्यूटेट) हुआ। बाद में महिला कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित पाई गई, जो कि पहले से एचआईवी पेशेंट थी। साउथ अफ्रीका में ऐसा ही एक और केस पाया गया। इन मामलों के आधार पर साउथ अफ्रीकी रिसर्चर्स Human Immunodeficiency Virus (HIV) के साथ ओमिक्रॉन का कनेक्शन होने का दावा कर रहे हैं।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, HIV से ओमिक्रॉन के पैदा होने की इस थ्योरी के पीछे कई ठोस आधार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट का पहला केस भले ही नवंबर 2021 में अफ्रीका में मिला, लेकिन रिसर्चर्स का दावा है कि ये काफी पहले ही जन्म ले चुका था। उन्होंने इसके किसी और देश से ओरिजनेट होने की भी संभावना जताई है, लेकिन अभी तक तो साउथ अफ्रीका रिसर्चर्स ने ही इसके जीनोम को सबसे पहले क्रैक किया है, इसलिए ओमिक्रॉन का ओरिजिन इसी देश को माना जा सकता है।
ओमिक्रॉन के बारे में सबसे पहले पता लगाने वाली टीम को लीड करने वाले प्रोफेसर तूलियो दी ओलिवेरिया ने कहा कि इस तरह के कई और केस दुनिया के अन्य देशों में भी पाए गए हैं, जिनकी संख्या 10 से 15 के बीच है।
रिसर्चर्स ने ओमिक्रॉन और HIV के बारे में जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात कही है, वो यह है कि इस बात की पूरी संभावना है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट का जन्म किसी HIV पेशेंट के भीतर हुआ हो। ऐसा इसलिए, क्योंकि HIV के मरीजों की इम्युनिटी बेहद कमजोर होती है और ऐसे पेशेंट के शरीर में कोरोना वायरस ज्यादा लंबे समय तक रह सकता है। कोरोना वायरस जितने ज्यादा लंबे समय तक किसी मरीज के शरीर में रहेगा, उसके म्यूटेट होने की संभावना भी उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है।
प्रोफेसर तूलियो दी ओलिवेरिया ने कहा, ‘ये काफी असंभव सा लगता है कि लेकिन इस बात की संभावना है कि दुनिया भर में मौजूद ऐसे लोग जिनकी इम्युनिटी बेहद कमजोर है, वे कोरोना के नए वेरिएंट के पैदा होने का सबसे बड़ा सोर्स हो सकते हैं।’
Covid-19 से निपटने के लिए साउथ अफ्रीकी सरकार की ओर से बनाई गई एडवाइजरी कमेटी के पूर्व चेयरमैन और HIV विशेषज्ञ डॉक्टर सलीम करीम ने कहा, ‘Immuno-Suppressed यानी कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मरीज कोरोना के नए वेरिएंट के पैदा होने के सबसे बड़े सोर्स हो सकते हैं, लेकिन ये अभी प्रूव नहीं हुआ है, हमने चार अलग-अलग महीद्वीपों से पांच अलग-अलग वेरिएंट देखे हैं, ऐसे में जो लोग ओमिक्रॉन के पैदा होने को लेकर अफ्रीका पर भड़ास निकाल रहे हैं, वो सही नहीं हैं।’
ओमिक्रॉन के HIV से कनेक्शन की बात ठीक उसी तरह की जा रही है, जिस प्रकार से Covid-19 के अल्फा वेरिएंट का ओरिजिन ब्रिटेन के एक कैंसर पेशेंट को माना जा रहा था। केपटाउन में एक अस्पताल के डॉक्टर मार्क मेंडलसन ने कहा कि डायबिटीज,
साउथ अफ्रीका में करीब 8 मिलियन यानी 80 लाख लोग HIV से पीडि़त हैं। इतना ही नहीं, इन 80 लाख HIV पॉजिटिव्स में 30 प्रतिशत ऐसे हैं, जिन्हें एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी नहीं मिली है। यह थेरेपी HIV पेशेंट के इम्यून सिस्टम को ठीक करने में मदद करती है। यही बात खतरे का इशारा करती है, क्योंकि इम्यून सिस्टम वीक होगा तो कोराना वायरस रिप्लिकेट होता है और रिप्लिकेट होने के बाद इसके री-प्रोडक्शन की संभावना बढ़ जाती है। ओमिक्रॉन हो या डेल्टा, अल्फा, बीटा, गामा, ये सब इसी तरह पैदा हुए हैं। कुल मिलाकर एक लाइन में कहें तो अब इंसान का शरीर ही कोरोना वायरस की लैब बनकर रह गया है, इससे अब तक कई नए कोरोना वेरिएंट पैदा हो चुके हैं। कोरोना वायरस के नए-नए वेरिएंट कहां और कैसे पैदा हो रहे हैं, इस बारे में भले ही विशेषज्ञ नए-नए दावे कर रहे हैं, लेकिन SARS-CoV-2 का असली ओरिजिन क्या था? चीन की वुहान लैब या चमगादड़ या कुछ और ये अब भी पहेली बना हुआ है।