रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग और तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका के बीच चीन सरकार ने अपने रक्षा बजट में 230 अरब डॉलर का इजाफा किया है। चीन का रक्षा बजट में इजाफा करना भारत के लिए खतरे का संकेत है। चीन के साथ भारत का लंबा सीमा विवाद चल रहा है और लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ चुकी हैं।
चीन ने शनिवार को अपना वार्षिक रक्षा बजट पेश किया। जिसे पिछले साल के 209 अरब डॉलर से 7.1 फीसदी बढ़ाकर 230 अरब डॉलर कर दिया गया है। चीन सरकार ने वित्त वर्ष 2022 के लिए 1.45 ट्रिलियन युआन का रक्षा बजट प्रस्तावित किया है। यह वृद्धि 2022 के भारत के रक्षा बजट 5.25 लाख करोड़ (लगभग 70 बिलियन अमरीकी डॉलर) से तीन गुना अधिक है।
पिछले साल, चीन का रक्षा खर्च पहली बार 200 बिलियन अमरीकी डॉलर को पार कर गया था। चीन ने 2021 में रक्षा बजट 6.8 प्रतिशत बढ़ाकर 209 बिलियन अमरीकी डॉलर कर दिया था। चीन के प्रधानमंत्री ने संसद में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीएलए व्यापक युद्ध की तैयारी पर ध्यान केंद्रित रखे। उन्होंने कहा कि पीएलए को देश की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए “दृढ़ तरीके से सैन्य संघर्ष करने” की जरूरत है।
चीन का लगभग अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद चल रहा है। इन चुनौतियों से चीन घबराया हुआ भी है। यही कारण है कि वहां की सरकार सेना में सुधार पर लगातार जोर दे रही है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2012 में चीन की सत्ता संभाली थी। उसके बाद से जिनपिंग लगातार रक्षा बजट में वृद्धि कर रहे हैं।
पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ गतिरोध और अमेरिका के साथ उसके बढ़ते राजनीतिक और सैन्य तनाव के बीच इस साल के रक्षा बजट में चीन की वृद्धि हुई है। चीन, अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट वाला देश है।