नहीं बाज आ रहा चीन! US अफसर का दावा- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पहले से अधिक आक्रामक रुख अपना लिया
अमेरिका की उप रक्षा मंत्री डॉ. कैथलीन हिक्स ने कहा कि चीन के कदम क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा हैं

पेंटागन की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि चीन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पहले से अधिक आक्रामक रुख अपना लिया है। अमेरिका की उप रक्षा मंत्री डॉ. कैथलीन हिक्स ने शुक्रवार को यहां ‘नेशन वार कॉलेज’ के शिक्षकों एवं छात्रों से कहा, ‘‘चीन ने अपनी सैन्य और जोखिम उठाने की बढ़ी हुई क्षमता का प्रदर्शन किया है तथा उसने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पहले से अधिक आक्रामक रुख अपना लिया है।’’
हिक्स ने कहा कि चीन ने 2020 में ऑस्ट्रेलिया, जापान, वियतनाम और फिलीपीन समेत अपने कई पड़ोसियों के साथ विभिन्न मामलों को लेकर तनाव बढ़ाया। उन्होंने कहा, ‘‘उसने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारत के साथ सशस्त्र संघर्ष किया, जिसके कारण दोनों पक्षों के जवानों की जान गई और उसने एक दमनकारी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने समेत कई कदम उठाकर हांगकाम पर अपना शिकंजा और कसा।’’
हिक्स ने कहा कि चीन के कदम क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता और उस नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा हैं, जिन पर अमेरिका के सहयोगियों की सुरक्षा एवं समृद्धि निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि इसी पृष्ठभूमि में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल में अपने अंतरिम राष्ट्रीय सुरक्षा सामरिक दिशानिर्देश जारी किए, जो चीन की बढ़ती आक्रामकता को रेखांकित करते हैं।
अमेरिका ने उठाया उइगरों का मुद्दा, तो चीन ने लगाया नस्लभेद का आरोप: अमेरिका ने चीन पर उइगर मुसलमानों तथा अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ ‘‘जनसंहार और मानवता के विरुद्ध अपराध’’ करने का शुक्रवार को आरोप लगाया, तो वहीं चीन ने अमेरिका पर भेदभाव, नफरत और अफ्रीकी एवं एशियाई मूल के लोगों की बर्बर हत्याओं का आरोप लगाया। दोनों देशों के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उल्मूलन दिवस समारोह में यह टकराव देखने को मिला।
ये आरोप-प्रत्यारोप ऐसे समय में सामने आए है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के पदभार संभालने के बाद अमेरिका तथा चीन के शीर्ष राजनयिकों ने अलास्का में आमने-सामने की पहली बैठक पूरी की है। बैठक में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने एक-दूसरे के प्रति तथा दुनिया को लेकर बिल्कुल विरोधाभासी विचार रखे। अमेरिकी राजदूत थॉमस ग्रीनफील्ड ने अमेरिकी इतिहास के बारे में आसामन्य रूप से बात करते हुए कहा, ‘‘दासता अमेरिका का असली पाप है। इसने हमारे संस्थापक दस्तावेजों और सिद्धांतों में श्वेत वर्चस्व तथा अश्वेत लोगों के प्रति हीन भावना डाली।’’
उन्होंने कहा कि दासता दुनिया के हर कोने में मौजूद है और ‘‘दुखद है कि यह आज भी है।’’ इसी तरह नस्लवाद भी आज एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि लाखों लोगों के लिए यह जानलेवा है जैसे कि म्यांमार में, जहां रोहिंग्या मुसलमानों तथा अन्य का दमन किया गया तथा बड़ी संख्या में उनकी हत्याएं की गई। थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा, ‘‘चीन सरकार ने शिनजियांग में उइगर मुसलमानों तथा अन्य जातीय एवं धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ जनसंहार किया और मानवता के विरुद्ध अपराध किए।’’
इस पर संयुक्त राष्ट्र में चीन के उप राजदूत दाइ बिंग ने पलटवार करते हुए कहा कि अमेरिका के ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। उन्होंने अमेरिका पर चीन के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया और कहा कि ‘‘झूठ केवल झूठ होता है और आखिरकार सच की जीत होगी।’’