ब्रिटेन में ही 1796 में लगा था स्मॉल पॉक्स का पहला टीका, अब कोरोना का लगेगा
बताया जाता है कि ब्रिटेन में 1796 में एक किसान के बेटे को पहली बार स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन लगाई गई थी।

दुनियाभर में कोरोनावायरस के बढ़ते केसों के बीच एक वैक्सीन आने की उम्मीदों से खुशी की लहर है। अमेरिकी कंपनी Pfizer और जर्मन कंपनी BioNTech की कोरोना वैक्सीन को हाल ही में ब्रिटेन में आपात मंजूरी मिल गई है। इसी के साथ यह दुनिया में कोरोना की पहली वैक्सीन है, जिसे किसी देश में इस्तेमाल की इजाजत मिली। इसका पहला इंजेक्शन इस माह के मध्य या अंत तक ब्रिटिश नागरिकों को दिया जा सकता है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब किसी अंग्रेज को एक खतरनाक बीमारी की वैक्सीन का पहला शॉट दिया जा रहा हो। आज से 224 साल पहले दुनियाभर में फैली स्मॉल पॉक्स की समस्या के वक्त भी ब्रिटेन में ही इसका पहला टीका दिया गया था।
बताया जाता है कि 1796 में एक किसान के बेटे को पहली बार स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन लगाई गई थी। उस लड़के का नाम जेम्स फिप्स था और उसकी उम्र महज 8 साल थी। इसके बाद फ्रांस और अमेरिका समेत अलग-अलग देशों ने अलग-अलग बीमारियों के टीके इजाद किए और देशवासियों को दिए। कुछ घातक बीमारियों जैसे इन्फ्लुएंजा, पोलियो, मीजल्स, मम्प्स, रुबेला और इबोला के लिए वैक्सीन का आविष्कार अमेरिका में ही हुआ, जबकि रेबीज वायरस का टीका फ्रांस में बना था।
पहला टीका दिसंबर में लगा, तो कब तक पूरा हो सकता है पूरी दुनिया का टीकाकरण: ब्रिटेन की ड्यूक यूनिवर्सिटी की रिसर्च की मानें तो दुनिया के सभी लोगों के टीकाकरण का काम 2024 की शुरुआत तक पूरा हो सकता है। हालांकि, इसके लिए दुनियाभर में निवेश और उत्पादन क्षमता बढ़ाने की जरूरत होगी। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNICEF ने अगले साल तक 100 गरीब और पिछड़े देशों को 200 करोड़ डोज पहुंचाने की बात कही है। इसके लिए 350 एयरलाइंस और फ्रेट कंपनियों से बातचीत जारी है।
Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, टेलीग्राम पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App। Online game में रुचि है तो यहां क्लिक कर सकते हैं।