म्यांमार की सेना द्वारा पूरी तैयारी के साथ किए गए तख्तापलट के बाद आंग सान सू ची फिर एक दशक पुरानी ‘घर में नजरबंदी’ की स्थिति में पहुंच गई हैं। हालांकि इस बार उनका सैन्य अधिकारियों के साथ टकराव तब हुआ है, जबकि एक समय उनके कट्टर समर्थक रह चुके अधिकतर लोग निराश हैं। ये लोग सत्ता में रहते हुए सूची द्वारा सैन्य जनरल के साथ की गई सांठ-गांठ से खफा हैं। पश्चिम में नेता अभी भी उनकी नजरबंदी की निंदा कर रहे हैं,लेकिन वे अब उन्हें लोकतंत्र समर्थक नेता के रूप में नहीं देखते हैं।
सू ची ने पिछले साल नवंबर में चुनाव जीतकर जनरलों को आश्चर्यचकित कर दिया था। उन्होंने चुनावों में धोखाधड़ी का आरोप लगाया, लेकिन देश के चुनाव आयोग ने इन्हें खारिज कर दिया था। लेकिन सेना ने सोमवार को नई संसद का सत्र शुरू होने से कुछ घंटे पहले सू ची और अन्य शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर यह साबित किया कि सत्ता पर वास्तव में किसका नियंत्रण है।
हवाई यात्रा अवरुद्ध करने और संचार साधनों की कटौती के बाद म्यांमार 10 साल की आजादी के बाद फिर से अंधकार में चला गया। सेना के नियंत्रण वाले मयावडा टीवी ने कहा कि देश में एक साल तक आपातकाल लागू रहेगा।
इस बीच, म्यांमार में संसद के सैकड़ों सदस्य मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी स्थित अपने सरकारी घरों के अंदर ही बंद रहे। एक सांसद ने बताया कि वह और करीब 400 अन्य संसद सदस्य परिसर के अंदर एक दूसरे से बात कर पा रहे हैं और फोन के जरिये अपने निर्वाचन क्षेत्रों के संपर्क में भी हैं लेकिन उन्हें नेपीता में आवासीय परिसर छोड़ने की इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस परिसर के अंदर थी और सैनिक बाहर।
सांसद ने कहा कि राजनेताओं में सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी और विभिन्न छोटे सियासी दलों के सदस्य शामिल हैं। उन्होंने बताया कि राजनेताओं की रात इस चिंता में जागते हुए बीती की उन्हें वहां से ले जाया जा सकता है, हालांकि बाकी सब कुछ ठीक रहा।