पाकिस्तान में 1000 साल पुराने मंदिर के 70 साल बाद खुले दरवाजे, तीन पीढ़ियां एक साथ कर रहीं पूजा
मंदिर पाकिस्तान के सियालकोट में है। इसकी वास्तुशिल्प देख कर पता चलता है कि मंदिर का निर्माण चोल राजाओं द्वारा किया गया था।

पाकिस्तान में सत्तर साल बाद करीब एक हजार साल पुराने मंदिर के दरवाजे खोल दिए गए हैं। कई दशकों बाद मंदिर के कपाट खुलने पर यहां हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय में जश्न का माहौल है। लोगों का कहना है कि मंदिर के द्वार खुलने पर उन्हें महसूस होता है कि वो हिंदू धर्म के अनुयायी हैं। लोग बड़ी तादाद में सैकड़ों साल पुराने मंदिर के दर्शन करने आ रहे हैं। मंदिर में एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां भगवान के दर्शन करने पहुंची। इस पीढ़ी के एक भक्त ने बीबीसी हिंदी से कहा, ‘हमारे जो बड़े थे उन्हें मंदिर में जाने मौका नहीं मिला। हालांकि हम आज बहुत खुश हैं। हम आज मंदिर में बैठे हैं। हम अपनी खुशी शब्दों में नहीं बता सकते हैं। पहले की तुलना में आज समय बदल चुका है।’
शख्स ने बताया, ‘हिंदू और मुस्लिम यहां एक साथ रहते हैं। हम इसी धरती में पैदा हुए और हमारा मरना जीना इसी धरती के साथ जुड़ा हुआ है। जब यहां अजान होती है तब पूजा-पाठ बंद कर दी जाती है। ऐसा एहतराम के तौर पर किया जाता है। हम एक साथ चलते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘दादा, बेटा और पोता… एक जगह बैठकर हम तीनों पूजा कर रहे हैं। दादा ने वो माहौल नहीं देखा था जो आज देख रहे हैं। आज हम बहुत खुश हैं कि हमारी तीनों नस्लें एक साथ शिवाला मंदिर में पूजा करेंगी।’
एक अन्य भक्त ने कहा कि शिवाला तेजा सिंह मंदिर एक हजार साल पुराना मंदिर है। पाकिस्तान अस्तित्व में आने के बाद मंदिर पूरी तरह बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘करीब 70-72 साल बाद सरकार ने हमारी सुनी है। जब लोग यहां से हिंदुस्तान चले गए तब यहां हिंदुओं की आबादी खासी कम हो गई थी। इसके बाद से मंदिर में पूजा नहीं की जा सकी। मंदिर भी जर्जर हालत में हो गया था। इसकी हालत खराब हो गई थी। अब जाकर मंदिर को ठीक किया गया है।’
Pakistan का एक हज़ार साल पुराना मंदिर, जहां 70 साल बाद हुई पूजा-अराधना ने हिंदुओं को खुश कर दिया… pic.twitter.com/f8uzclCrOt
— BBC News Hindi (@BBCHindi) March 9, 2020
उन्होंने कहा कि यहां मजहबी काम के बीच हिंदू-मुस्लिम दखल नहीं देते हैं। हम जगराता करते हैं तो कोई हमें मना नहीं करता। इस काम में मुस्लिम समुदाय के लोग भी हमारी मदद भी करते हैं। आज हमें अपने धर्म और मजहब का पता चल गया कि हमारा मजहब है। इससे पहले लोगों को हमारे धर्म के बारे में पता नहीं चलता था। अब लोगों को खासतौर पर पता चल गया कि हम हिंदू हैं और हमें हिंदू बनकर ही रहना है।
उल्लेखनीय है कि मंदिर पाकिस्तान के सियालकोट में है। इसकी वास्तुशिल्प देख कर पता चलता है कि मंदिर का निर्माण चोल राजाओं द्वारा किया गया था। आजादी के बाद पूरी तरह उपेक्षित हो चुके इस मंदिर की हालत तब और खराब हो गई जब 1992 में अयोध्या बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान कट्टरपंथियों ने बम से उड़ा दिया था।