अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis) जिसे बड़ी आंत की एक क्रोनिक बीमारी कहते है। इस बीमारी में बड़ी आंत की अंदरूनी परत में सूजन और जलन हो जाती है जिससे कई छोटे-छोटे छाले बनने लगते है। इन छालों में सूजन के कारण पेट में दर्द और पेट से संबंधित कई परेशानियां होने लगती है। अगर समय पर इस बीमारी का इलाज नहीं कराया जाए तो ये जानलेवा साबित होती है। ये बीमारी पाचन पर बुरी तरह असर डालती है।
आंत की इस बीमारी में आपकी इम्युनिटी ही आपकी आंत की दुश्मन बन जाती है। इस बीमारी में इम्युनिटी बाहर के कीटाणुओं पर हमला करने के बजाएं बड़ी आंत पर हमला करना शुरु कर देती है जिसकी वजह से आंत में सूजन और जलन की परेशानी होती है। इस बीमारी के लक्षणों की समय पर पहचान कर ली जाए तो मलाशय और मलनाली के कैंसर (colorectal cancer) होने के जोखिम से बचा जा सकता है। सीताराम भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च की गैस्ट्रोलॉजी की डॉ. निवेदिता पांडे के मुताबिक इस बीमारी के लक्षणों की जल्दी पहचान कर ली जाए तो इस बीमारी के जोखिम से बचा जा सकता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि इस बीमारी के लक्षण कौन-कौन से हैं और कैसे इस बीमारी का उपचार किया जाए।
कोलाइटिस के लक्षण:
- पेट में दर्द और ऐंठन होना।
- भूख नहीं लगना या बेहद कम लगना।
- रेक्टम में दर्द होना और उससे ब्लीडिंग होना।
- ब्लीडिंग की वजह से एनीमिया होना।
- बार बार दस्त आना।
- बुखार होना।
- स्टूल पास करने में दर्द होना जैसे लक्षण शामिल हैं।
कोलाइटिस का इलाज कैसे किया जाता है?
कोलाइटिस का इलाज करने के लिए दवाई से आंत की सूजन को कम करने की कोशिश की जाती है। अगर दवाई से सूजन कम नहीं होती तो सर्जरी करके आंत की सूजन को खत्म किया जाता है। सर्जरी की मदद से आंत और मलाशय को निकाल दिया जाता है।
कोलाइटिस से बचाव के लिए लाइफस्टाइल कैसा होना चाहिए:
- एक्सपर्ट के मुताबिक खान-पान में बदलाव करके इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है।
- कोलाइटिस से जूझने वाले लोग कुछ चीजों से परहेज करें। इस बीमारी में दूध और दूध से बने फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।
- पूरे दिन में 5-6 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं। एक बार भर पेट खाने से बचें।
- पानी का अधिक सेवन करें।
- तनाव से दूर रहें। तनाव आपकी बीमारी को बढ़ा सकता है।