विशेषज्ञ की कलम से: मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनपंसद अवसर
एक मनोवैज्ञानिक से अपेक्षा की जाती है कि उसके पास एक बहुत ही विश्लेषणात्मक दिमाग हो, जो उत्कृष्ट संचार एवं भावी कौशल का धनी हो। वह मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति को समझने और उसके व्यवहार को जानने में सक्षम होना चाहिए जिसके माध्यम से वह पीड़ितों को परामर्श देने में सक्षम हो।

अरस्तू ने कहा था ‘मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है’ लेकिन यही मनुष्य जब समाज से विलग होकर मशीनी उपकरणों पर अधिक आश्रित हो जाता है तो वह अकेलेपन जैसी मानसिक बीमारी का शिकार होने लगता है। सोशल मीडिया जैसी चीजें आपको मनोरंजन तो प्रदान कर सकती हैं लेकिन भावनात्मक सहयोग नहीं दे सकती हैं। तकनीकी उपकरणों पर अत्यधिक आत्मनिर्भरता, उस पर कोरोना की पूर्णबंदी ने जिस तरह से लोगों को अवसाद का शिकार बनाया है, ऐसे समय में मनोवैज्ञानिकों की मांग बढ़ी है।
मनोवैज्ञानिक कैसे बनें
बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद किसी अच्छे कॉलेज या विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पर प्रवेश लिया जा सकता है। मनोविज्ञान की डिग्री में स्नातक स्तर पर (बीए या बीएससी) की डिग्री प्राप्त होती है। इसका पूरा पाठ्यक्रम ‘व्यक्तित्व विकास, मनोचिकित्सा, तनाव प्रबंधन और तंत्रिका-मनोविज्ञान’ पर केंद्रित होता है, जो बहुत ही रुचिकर और प्रासंगिक होता है।
स्नातक के बाद प्राय: लोग स्नातकोत्तर करते हैं। इसमें एमए या एमएससी की डिग्री प्राप्त होती है। इसके बाद लोग मनोविज्ञान में डॉक्टरेट (पीएचडी) भी करते हैं। लेकिन अधिकतर लोग स्नातकोत्तर के बाद ही विभिन्न क्षेत्रों में एक मनोवैज्ञानिक की हैसियत से कार्य करने लग जाते हैं। कुछ लोग जो शोध करते हैं वो शिक्षण कार्य में लग जाते हैं। कुछ लोग स्नातक डिग्री के बाद ही कार्य करना प्रारंभ कर देते हैं।
मनोवैज्ञानिक के रूप में व्यक्तिगत कौशल
एक मनोवैज्ञानिक से अपेक्षा की जाती है कि उसके पास एक बहुत ही विश्लेषणात्मक दिमाग हो, जो उत्कृष्ट संचार एवं भावी कौशल का धनी हो। वह मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति को समझने और उसके व्यवहार को जानने में सक्षम होना चाहिए जिसके माध्यम से वह पीड़ितों को परामर्श देने में सक्षम हो। करुणा एक मनोवैज्ञानिक का सबसे उत्कृष्ट लक्षण होता है।
नौकरी की अपार संभावनाएं
मनोविज्ञान में सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जिस व्यक्ति ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है, उसके लिए न केवल नौकरी की अपार संभावनाएं होती हैं अपितु मुहमांगी तनख्वाह भी मिल जाती है। मनोविज्ञान का क्षेत्र कई शाखाओं में बंटा होता है। एक प्रतिभागी मनोविज्ञान की विभिन्न शाखाओं में से किसी एक में करिअर बना सकता है।
क्लीनिकल मनोविज्ञान
इसके अंतर्गत मनोवैज्ञानिक समस्याओं वाले व्यक्तियों के व्यवहारों का पहले मूल्यांकन किया जाता है और फिर उनका उपचार किया जाता हैं। इसमें उन लोगों का उपचार किया जाता है जो किसी दुख से पीड़ित हंै या लगातार दुखी महसूस करते हैं या किसी मनोरोग के शिकार हैं। क्लीनिकल मनोविज्ञान वाले डॉक्टरों को बड़े समूह वाले क्षेत्रों में भी काम करना पड़ता है।
परामर्श मनोविज्ञान
परामर्श मनोविज्ञान वाले लोग भी वही कार्य करते हैं जो प्राय: क्लीनिकल मनोविज्ञान वाले करते हैं लेकिन परामर्श मनोवैज्ञानिक गंभीर मनोवैज्ञानिक विकारों से पीड़ित व्यक्तियों के बजाय कम पीड़ित रोगियों को अधिक देखते हैं। प्राय: ऐसे मनोवैज्ञानिकों की नियुक्ति मनोविज्ञान विभागों, शिक्षा विभागों में शैक्षणिक केंद्रों, परामर्श केंद्रों, सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों आदि में होती हैं।
स्वस्थ मनोविज्ञान
स्वस्थ मनोवैज्ञानिकों का संबंध अच्छे स्वास्थ्य के संवर्धन और रखरखाव, मनोवैज्ञानिक बीमारी की रोकथाम और उपचार से भी होता है। ये व्यक्तियों को धूम्रपान से रोकने, वजन कम करने, शराब छोड़ने, तनाव का प्रबंधन करने और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करने के लिए कार्यक्रम डिजाइन करते हैं और उसे संचालित करते हैं। वे अस्पतालों, पुनर्वास केंद्रों, सार्वजनिक स्वास्थ्य एजंसियों, शैक्षणिक सेटिंग्स और निजी क्लीनिको में कार्य करते हैं।
औद्योगिक / संगठनात्मक मनोविज्ञान
औद्योगिक संगठनों के बीच आज जिस तरह की गलाकाट प्रतिस्पर्धा चल रही है। उसे देखते हुए संगठनात्मक मनोविज्ञान का कार्य बहुत अधिक बढ़ा है। आप कई संगठन कार्यस्थल में उत्पादकता बढ़ाने या कर्मियों के चयन में शामिल होने के नए तरीके विकसित करने के लिए भी मनोवैज्ञानिक को अपने यहां रखने लगे हैं। जो कर्मचारियों के नैतिक और व्यवहारिक पक्ष पर लगातार ध्यान रखते हैं और उनकी कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए कार्य करते रहते हैं।
खेल मनोविज्ञान
ये मनोवैज्ञानिक खिलाडियों के प्रदर्शन को सुधारने के लिए कार्य करते हैं। ये खिलाडियों के मानसिक समायोजन, स्वास्थ्य और शारीरिक गतिविधि के प्रभावों को भी देखते हैं। खेल मनोवैज्ञानिक आमतौर पर अकादमिक संस्थानों और बड़े बड़े खेल संस्थानों और टीमों के लिए सलाहकार के रूप में काम करते हैं।
– संजय सिंह बघेल
(शिक्षक, दिल्ली विश्वविद्यालय)
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