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नए वायरस के ट्रिपल अटैक में सर्दी, खांसी और बुखार के लक्षण

जिले के अस्‍पतालों में सर्दी, खांसी और बुखार के मरीजों का तांता लगा हुआ है।

Health checkup
अस्‍पताल में मरीजों को देखते चिकित्‍सक। ( फोटो-इंडियन एक्‍सप्रेस)।

H3N2 नया वायरस है इसमें सर्दी, खांसी,बुखार के ट्रिपल अटैक हैं। लेकिन वायरस से संभलना है, डरना नहीं है। जिला अस्पताल के जाने-माने मेडिसिन के डाक्टर नीरज वर्मा ने बताया कि नए वायरस का कोड नंबर- एच3एन2 है।

उन्होंने बताया कि नए वायरस में पहले दो दिन तेज बुखार आता है। बाद में बुखार सामान्य हो जाता है। लेकिन गले और फेफड़ों में जकड़न, नाक जाम,सांस के साथ खांसी बहुत ज्यादा आती है। वायरस की खांसी और सीने की जकड़न 20 से 25 दिन में ठीक होती है। वायरस के ट्रिपल अटैक में एजिथ्रोमाइसिन एंटीबायोटिक काम नहीं करती है। कोरोना काल में अधिकांश लोग जरूरत से ज्यादा एजिथ्रोमाइसिन खा चुके हैं। जिससे अब काम नहीं कर रही है।

अब इसके बदले नए एंटीबायोटिक दिए जा रहे हैं। डाक्टर वर्मा ने बताया कि एडिनोवायरस की सर्दी, खांसी, बुखार में दवा के साथ सुबह शाम भांप,नमक मिलाकर गुनगुना पानी से गरारे और गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना है। उन्होंने बताया कि मौसम परिवर्तन के कारण सर्दी, खांसी, बुखार के मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। 60 साल से ऊपर वाले सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी है।

इनकी सांस और खांसी को ठीक करने में वक्त लगता है। लेकिन सभी मरीज़ ठीक हो जाते हैं। बालरोग विशेषज्ञ डॉ लईक ने बताया कि नए वायरस में सर्दी, खांसी, बुखार के ट्रिपल अटैक छोटे बच्चों में ज्यादा हो रहे हैं। छोटे बच्चों में तेज बुखार के साथ फेफड़ों में जकड़न हो रही है। साथ में उल्टी-दस्त भी शुरू हो जाती है। लेकिन आराम जल्दी मिलता है। इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। इसमें बच्चों से ज्यादा मां के सावधानी की आवश्यकता है।

छोटे बच्चे मां का दूध पीते हैं। जिससे मां की बीमारी बच्चों में हो जाती है। इसीलिए बालरोग विशेषज्ञ बच्चों के साथ मां का भी इलाज करते हैं। कहने के लिए जिला अस्पताल में तीन महिला डाक्टर तैनात किए गए हैं। लेकिन महिला डाक्टरों के चेंबर में ताले लटकते रहते हैं। जिससे महिलाओं को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में करीब 48 सरकारी अस्पताल खुले हैं।

लेकिन सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर बैठते नहीं है। सबसे बुरा हाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का है। लौकापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सालों से ताला लगा है। जबकि आलीशान अस्पताल बना है। गांव वालों ने बताया कि अस्पताल कभी खुलता नहीं है। अस्पताल के बाहर कभी कभी एंबुलेंस एक दो घंटे खड़ी होती है। गौरीगंज में जिला अस्पताल खुलने के बाद गौरीगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का अता पता नहीं है। इसमें पचास से ज्यादा स्टाफ तैनात हैं।

इस अस्पताल में केवल सीटी स्कैन की मशीन चलती है। बाकी स्टाफ का अता पता नहीं है। चिकित्सा अधीक्षक कभी कभार सीएमओ आफिस में दिखाई पड़ते हैं। जिला अस्पताल में महिला डाक्टरों को छोड़कर बाकी डाक्टर और दवा दोनों हैं। लेकिन बाकी अस्पतालों का बुरा हाल है। जिससे मरीज निजी अस्पतालों में इलाज के लिए मजबूर हैं। मुख्य फार्मासिस्ट मनीष ने बताया कि दवा का अभाव नहीं है। अधिकांश दवाएं मौजूद हैं। जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमेठी के चीफ फार्मासिस्ट जितेंद्र सिंह ने कहा कि वायरस से निपटने के लिए सर्दी खांसी बुखार की दवा मौजूद है।

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First published on: 27-03-2023 at 09:56 IST