आपने दूब का नाम तो सुना ही होगा। पूजा-पाठ और तमाम धार्मिक कार्यों में दूब का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दूब, पथरी की बीमारी (Kidney Stone) को दूर करने में में रामबाण जैसा है। जाने-माने वैज्ञानिक डॉ. दीपक आचार्य ने हाल ही में पेंग्विन से प्रकाशित अपनी किताब ‘जंगल लैबोरेटरी’ में दूब (Scutch Grass) के तमाम फायदे बताए हैं। डॉ. दीपक लिखते हैं कि हरी दूब (Green Doob) का वानस्पतिक नाम सायनाडोन डेक्टीलोन है। आधुनिक विज्ञान मानता है कि दूब शक्ति वर्धक औषधि है, क्योंकि इसमें ग्लाइकोसाइड, एल्केलॉयड, विटामिन ए और विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है।
डॉक्टर दीपक अपनी किताब में लिखते हैं कि हरी दूब, किडनी स्टोन या पथरी को खत्म करने में रामबाण सरीखी है। दूब की पत्तियों को पानी के साथ मसलकर स्वादानुसार मिश्री डालकर अच्छे से घोट लें। फिर इसे छानकर हर दिन एक गिलास सेवन करें। इससे पथरी निकल जाती है और यूरिन भी खुलकर आने लगता है। डॉ. दीपक अपनी किताब में पातालकोट के आदिवासियों का जिक्र करते हुए लिखते हैं कि अगर किसी के नाक से बार-बार खून आ रहा हो तो हरी दूब का रस दो-दो बूंद नाक में डालें, इससे खून आना बंद हो जाता है।
हरपीज में भी बेहद कारगर है दूब
हरी दूब (Durva Grass) में ट्रायटरपिनोइड्स, पामिटिक एसिड, कैरोटीन और फ्रीडलीन जैसे रयासन पाए जाते हैं, जो एंटीवायरल हैं। इसलिये यह हरपीज (Herpes) की बीमारी में भी बेहद कारगर है। हरपीज भी एक वायरल बीमारी है। हरी दूब को चावल के आटे के साथ पीसकर उसका पेस्ट तैयार कर लें और हरपीज (Herpes Medicine) पर लगाएं। दिन में कम से कम तीन बार यह प्रक्रिया दोहरानी है। इससे 3 दिन में ही आराम मिल सकता है। इस पेस्ट को लगाने से, पहले दिन से ही दर्द और जलन में 90% तक आराम मिल जाता है। डॉ. दीपक आचार्य कहते हैं कि यह बात क्लीनिकली भी प्रमाणित है कि हरी दूब पेट की तमाम समस्याओं को खत्म करने में बहुत कारगर है।

खुजली दूर करने में कारगर है ‘नागरमोथा’
डॉ. दीपक आचार्य अपनी किताब में ‘नागरमोथा’ नामक पौधे का भी जिक्र करते हैं, जिसे कई जगह मोथा या मुस्तक भी कहा जाता है। अगर किसी को प्राइवेट पार्ट पर लगातार खुजली की दिक्कत है तो इसका लेप लगाने से खुजली की समस्या दूर हो जाती है। डॉक्टर दीपक लिखते हैं कि इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। अगर शरीर पर सूजन है तो इस पौधे का लेप लगा सकते हैं। इसके अलावा अगर लगातार हिचकी आ रही है तो नागरमोथा को शहद के साथ चाटने से हिचकी बंद हो जाती है।