एलोपैथी की निंदा करने के बाद डॉक्टरों के गुस्से की जद में आए बाबा रामदेव जल्द ही बहुत गंभीर सवालों में घिर सकते हैं। आरोप है कि उनकी दवा कोरोनिल का परीक्षण आदमियों पर नहीं ज़ेब्रा फिश, यानी एक मछली पर किया गया था। परीक्षण की रिपोर्ट भी एक ऐसी मैगज़ीन में छपी है, जिसका वैज्ञानिकों की नज़र में कोई महत्व नहीं है। उल्लेखनीय है इससे पहले यही आरोप लगता आया है कि कोरोनिल का ट्रायल सौ से भी कम लोगों पर किया गया है, जो कि गलत बात है। लेकिन नए आरोप के मुताबिक ट्रायल आदमी पर नहीं मछली पर किया गया है।
यह गंभीर आरोप उछला है मशहूर पत्रकार बरखा दत्त के यूट्यूब चैनल मोजो स्टोरी की एक रिपोर्ट से, जिसमें एक पैनल डिस्कशन के दौरान अमेरिका में बसे एक भारतीय डॉक्टर आशीष ने इंटरनेट पर रिसर्च के बाद मछली वाली बात बताई है।डॉ आशीष का कहना है कि उन्होंने कोरोनिल के बारे में पड़ताल के लिए सबसे पहले पतंजलि की वेबसाइट की खोज-खबर ली। इसमें एक जगह कोरोनिल रिसर्च के बारे में जिक्र था और कहा गया था कि दवाई के बारे में अनुसंधान और ट्रायल की जानकारी वायरॉलजी नेचर नामकी मैगजीन में पढ़ी जा सकती है।
उस मैगजीन में ट्रायल रिपोर्ट की जगह एक लिंक मिला। नया लिंक बीएमसी वायरॉलजी साइट पर ले गया लेकिन यहां भी अगले लिंक की ओर ठेल दिया गया। यहां अंतिम लिंक एक गुमनाम पत्रिका का था। यहां रिपोर्ट मौजूद थी। उसमें अनुसंधानकर्ता के रूप में आचार्य बालकृष्ण का नाम लिखा हुआ था।
डॉ आशीष कहते हैं कि वहां जेब्रा मछली का नाम देख कर वे भौंचक्के रह गए। लेकिन अभी उनकोऔर भौंचक्का होना था। रिपोर्ट में लिखा था कि इस मछली के शरीर में इंजेक्शन के जरिए स्पाइक प्रोटीन पहुंचाया गया। डॉ आशीष बताते हैं कि स्पाइक प्रोटीन तो वह तत्व होता है जो कोविड की वैक्सीन में इस्तेमाल किया जाता है। होना तो यह चाहिए था कि मछली के शरीर में संक्रमण फैलाने के लिए कोविड के वाइरस इंजेक्ट किए जाते। लेकिन यहां तो संक्रमण फैलाने की जगह मछली को वैक्सीन मिल गया, जिससे मछली को कोविड के मुकाबले इम्यूनिटी मिल गई। डॉक्टर का कहना है कि पतंजलि ने मछली पर ट्रायल की बात अपनी वेबसाइट पर नहीं दी है।
बरखा दत्त की स्टोरी के बाद बाबा रामदेव या पतंजलि के प्रवक्ता ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। समझा जाता है कि मछली पर अनुसंधान की सूचना के बाद एलोपैथी डॉक्टरों के संगठन बाबा रामदेव के प्रति और ज्यादा हमलावर हो जाएंगे। जो भी हो, पिछले कई दिनों से बाबा के ऊपर चौतरफा प्रहार हो रहे हैं। इन हमलों की शुरुआत उसी समय हो गई थी जब उन्होंने एलोपैथी को स्टूपिड की संज्ञा दी थी और कहा था कि कोविड के हजारों मरीज एलोपैथी दवाओं के कारण काल के गाल में समा गए।
बाबा की बात पर चिकित्सकों और उनकी संस्था आइएमए ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल लिया था। बात बिगड़ती चली गई तो सरकार को दखल देना पड़ा था और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को रामदेव के खिलाफ सख्त रवैया अपनाना पड़ा था। उन्होंने बाबा को बाकायदे एक पत्र लिखा था जिसमें उन्हें अपना बयान औपचारिक रूप से वापस लेने की ताकीद की थी। तब बाबा को सरकार की आज्ञा का पालन करते हुए अपना बयान वापस लेना पड़ा था। लेकिन बयान वापसी के बाद भी बाबा तुरंत ही एलोपैथी डॉक्टरों के सामने चुनौती रखते हुए पूछा था कि क्या उनके पास डायबिटीज़, हिपेटाइटिस आदि 25 बीमारियों को ठीक करने की कोई दवाई है।