भारत में डिजिटल उपकरणों का उपयोग बढ़ रहा है इसके बावजूद अपर्याप्त जानकारी और डेटा प्राइवेसी के बारे में चिंताओं के कारण हेल्थकेयर सिस्टम में इन उपकरणों के उपयोग पर संशय छाया हुआ है। हम अब इस ट्रेंड को बदलते हुए देख रहे हैं क्योंकि कोविड-19 ने देश में डिजिटल हेल्थ सिस्टम अपनाने में एक साधन बनकर आया है। जब मरीजों के पास अपने खुद के स्वास्थ्य डेटा तक पहुंच होती है, तो वे ज्यादा सशक्त महसूस करते हैं।
ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीजों में रेगुलर चेकअप के दौरान उसका लंबे समय तक रिकार्ड करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में डिजिटल माध्यम से मरीज अपने स्वास्थ्य संबंधित रिपोर्टों को सुरक्षित रखकर भविष्य में इलाज के लिए उन हिस्ट्री का इस्तेमाल कर सकता है। डॉक्टर और मरीज दोनों के लिए न सिर्फ यह समय बचाता है बल्कि कागजी कार्रवाई के झंझट से भी मुक्ति दिलाता है। रक्त शर्करा या रक्तचाप की निगरानी के लिए रिमोट डेटा कैप्चर और डिजिटल ऐप का उपयोग मधुमेह और उच्च रक्तचाप की पुरानी देखभाल में मॉडल बन रहे हैं।
क्या होता है ईएमआर
ईएमआर जिसे इलेक्ट्रानिक मेडिकल रिकॉर्ड कहा जाता है इसमें एक कंप्यूटर पर स्टोर किया हुआ किसी व्यक्ति के डायग्नोसिस, दवाओं, एलर्जी, टीकाकरण और ट्रीटमेंट प्लान जैसी मेडिकल हिस्ट्री का पूरा ब्यौरा होता है। इस तरह का मरीज का डेटा होने से इलाज करने वाले हेल्थ प्रोफेसनल्स को रिमोट मोड से भी मरीज का इलाज करने में आसानी हो सकती है।
हेल्थकेयर प्रोफेसनल्स के लिए डिजिटल टूल की भूमिका
यदि कोई व्यक्ति डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित है, जब वह डॉक्टर के पास क्लीनिक में अपने रेगुलर चेकअप के लिए जायेगा तो डॉक्टर ईएमआर की मदद से एक क्लिक में मरीज की सारी सूचना प्राप्त कर सकता है। चूंकि क्रिटिकल मरीज के केसेस का इलाज करते हुए समय बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए इस तरह के माहौल में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के माध्यम से हेल्थ प्रोफेसनल मरीज की जानकारी को जल्दी से प्राप्त करके काफी समय बचा सकते हैं।
डायबेटोलॉजिस्ट और फिजिशियन कंसल्टेंट डॉ राहुल दोषी का कहना है कि मैं पिछले कुछ सालों में हेल्थप्लिक्स ईएमआर का काफी उपयोग कर रहा हूं। इस महामारी के दौरान अपने मरीजों को बेहतर इलाज प्रदान करने के लिए यह मेरे लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया था। ईएमआर होने से हेल्थ प्रोफेसनल को मरीज को यह समझाने में आसानी हो सकती है कि वे किस समस्या के बारे में बात कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड होना कई मायनों में फायदेमंद होता है क्योंकि इससे साक्ष्य-आधारित देखभाल और तेजी से और ज्यादा सटीक डायग्नोसिस होता है। यह तकनीक रहने से मरीज और डॉक्टर को गैर जरूरी जांच नहीं करनी पड़ती है।