टेक्नोलॉजी का कमाल..टैबलेट बता रहा है रेस्टोरेन्ट का खाना हेल्दी है या खतरनाक ?
रेस्टोरेन्ट खासकर बेस किचेन, जहां खाना बनता है और अधिकांश भोजन सामग्री रखी होती है, वहां का तापमान काफी ज्यादा होता है। आमतौर पर कोई भी कस्टमर इस पर ध्यान नहीं देता है।

अमेरिकी लोग अमूमन घरों से बाहर रेस्टोरेन्ट में खाना पसंद करते हैं। हर 6 में से एक अमेरिकी नागरिक रेस्टोरेन्ट का खाना पसंद करता है। ऐसे में जाहिर है कि वहां खानपान का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। एक सर्वे के मुताबिक इस साल इसका कुल बाजार 720 बिलियन डॉलर को पार कर जाने की संभावना है। लेकिन रेस्टोरेन्ट्स के बीच बढ़ते कम्पीटिशन की वजह से सभी रेस्टोरेन्ट कस्टमर्स को लुभाने के लिए रोज नई-नई स्कीम देते हैं। इनमें से कुछ रेस्टोरेन्ट कस्टमर्स को रेस्टोरेन्ट की साफ-सफाई और हेल्दी फूड का आकर्षण देते हैं तो कुछ मार्केटिंग टिप्स के जरिए कस्टमर्स को लुभाते हैं। ऐसे में इन दिनों वहां एक नई तकनीक का ईजाद हुआ है जो कस्टमर्स को इस बात के लिए जागरूक कर रहा है और अपनी ओर आकर्षित कर रहा है कि जो फूड वो लेने जा रहे हैं क्या वो सेहत के लिहाज से सही है या नहीं?
रेस्टोरेन्ट खासकर बेस किचेन, जहां खाना बनता है और अधिकांश भोजन सामग्री रखी होती है, वहां का तापमान काफी ज्यादा होता है। आमतौर पर कोई भी कस्टमर इस पर ध्यान नहीं देता है। ऐसे में क्या आपको पता है कि अगर किसी फूड का तापमान 50 डिग्री से ज्यादा हो जाए या 20 डिग्री तक ठंडा हो जाए तो उसे खाना चाहिए या नहीं? क्या उसका हमारे शरीर पर कोई बुरा प्रभाव तो नहीं पड़ेगा? क्या यह भोजन जहर के समान तो नहीं? इन्हीं सवालों का जवाब देने के लिए अमेरिका के पीट्सबर्ग की फ्रेश टेम्प नाम की एक टेक्नोलॉजी कंपनी ने फूड सेंसर टेक्नोलॉजी का आविष्कार किया है। इस तकनीक से अमेरिका में सैकड़ों रेस्टोरेन्ट जुड़ रहे हैं।
यह तकनीक बताती है कि रेस्टोरेन्ट में आप जो भोजन लेने जा रहे हैं वह आपके लिए हेल्दी है या खतरनाक? क्या उसमें बैक्टीरिया है या नहीं? साथ ही उस पदार्थ का तापमान कितना है? इसके लिए एक टेम्पेरेचर सेंसर तैयार फूड्स में डाला जाता है और उसके तापमान की रीडिंग टैबलेट पर ली जाती है। उसी समय आपके टैबलेट पर यह जानकारी डिस्पले होगी कि वह भोजन जिसका परीक्षण आपने किया है, वह सेहतमंद है या नहीं। फ्रेश टेम्प कंपनी के सीईओ जेफ रिगर बताते हैं कि जो भी रेस्टोरेन्ट इस सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं वो उनके क्लाउड सर्वर से जुड़े होते हैं।
बतौर रिगर, इसका मकसद लोगों को फूड सेफ्टी के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ लोगों को प्रदूषित भोजन से होनेवाली बीमारियों से बचाना है क्योंकि दुनिया का कोई भी व्यक्ति पैसे खर्च कर बीमारी नहीं खरीद सकता है।
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