ट्यूबरक्लॉसिस जिसे कई नामों से जाना जाता है। मेडिकल भाषा में इस बीमारी को ट्यूबरक्लॉसिस कहते हैं। इस बीमारी को तपेदिक और टीबी की बीमारी के नाम से भी जाना जाता हैं। ये एक ऐसी बीमारी है जो बॉडी के किसी भी हिस्से में हो सकती है। टीबी की बीमारी आमतौर पर फेफड़ों,पेट,लिंफ ग्लैंड्स, हडि्डयों,दिमाग और जेनाइटो-यूरिनरी सिस्टम को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी ‘ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस रिपोर्ट 2019’ के अनुसार वैश्विक स्तर पर करीब 1 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हुए थे, जिनमें से सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 27 लाख लोग इस बीमारी से ग्रस्त थे।
टीबी की बीमारी को दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में गिना जाता है। WHO का लक्ष्य है कि 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त बनाना है। वहीं भारत का संकल्प है 2025 तक भारत को टीबी मुक्त देश बनाना है।
24 मार्च, 1882 में टीबी के लिए जिम्मेदार जीवाणु माईक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस की खोज की गई थी। टीबी की बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 24 मार्च को वर्ल्ड ट्यूबरक्लोसिस डे मनाया जाता है। इस बीमारी की अगर पहले से ही पहचान कर ली जाए तो कई बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। टीबी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है लेकिन आंत की टीबी का पता आसानी से नहीं लगता।
गैस्ट्रो एवं लिवर हॉस्पिटल कानपुर के विशेषज्ञ डॉक्टर वी.के.मिश्रा के मुताबिक आंत की टीबी के लक्षणों की पहचान करना मुश्किल होता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि आंत की टीबी के लक्षण कौन-कौन से होते हैं और उनकी पहचान कैसे की जाए।
डॉक्टर वी.के.मिश्रा के मुताबिक आंत की टीबी काफी मुश्किल से पकड़ में आती है। ट्यूबरकुलोसिस का खतरा उन लोगों को सबसे ज्यादा होता है जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है या वो कई बीमारियों जैसे एड्स या डायबिटीज से पीड़ित होते हैं।
आंत की टीबी के लक्षण:
पेट में दर्द होना, कब्ज होना, खूनी दस्त आना, बुखार रहना, भूख कम लगना, कमजोरी होना, वजन घटना,पेट में गांठ बनना आंत में टीबी की बीमारी के लक्षण हैं।
आंत की टीबी का पता कैसे लगाएं:
आंत में टीबी की बीमारी का पता लगाने के लिए खून की जांच, सीने व पेट का एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, मेंटॉस टेस्ट से आंतों में टीबी की जांच की जाती है। अगर इन जांचों में बीमारी के लक्षण पकड़ में नहीं आते तो कोलोनोस्कोपी और बायोप्सी से भी टीबी का पता लगाया जाता है। कुछ मरीजों में एंडोस्कोपी की जरूरत भी पड़ सकती है।
आंतों की टीबी का पता अगर जल्दी लगा लिया जाए तो इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। इसमें देरी होने पर लक्षण गंभीर हो सकते हैं। आंतों में टीबी के बढ़ने से आंतों में घाव बनने लगते हैं। इसके अलावा 6 महीने से ज्यादा दिनों तक ये बीमारी रहने पर आपको कॉलोनोरेक्टल ट्यूबरक्लोसिस हो सकता है जो कि जानलेवा साबित हो सकता है।
आंत की टीबी है तो इन बातों का रखें ध्यान:
- आंत में टीबी की बीमारी है तो दूध से परहेज करें। अगर आप दूध का सेवन करते हैं को कच्चा दूध भूलकर भी नहीं पिएं।
- नशीले पदार्थों का सेवन टीबी की बीमारी को बढ़ा सकता है।
- किसी भी फल और सब्जी का बिना धुले सेवन नहीं करें। सफाई का ध्यान रखें।
- साफ सफाई का ध्यान रखें। बंद और अंधेरे वाली जगहों पर ना रहें।