Sleep Basics: फिट रहने के लिए आमतौर पर नियमित रूप से व्यायाम करने और हेल्दी डाइट लेने की सलाह दी जाती है। किसी न किसी तरह से यह कुछ हद तक सही है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। लोगों को यह एहसास नहीं है कि जब शारीरिक और मेंटल हेल्थ की बात आती है तो नींद भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे कोई समझौता नहीं होना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस पर नई दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुरनजीत चटर्जी लिखते हैं कि काम में व्यस्तता, बढ़ते तनाव के स्तर और एक अनहेल्दी लाइफस्टाइल आपके अनियमित स्लीप पैटर्न का कारण बन सकती है। यह न केवल आपके डेली रूटीन को प्रभावित करता है बल्कि आपके स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है जिससे आपको कोलेस्ट्रॉल की समस्या और मधुमेह जैसी बीमारी हो सकती है।
लोगों का मानना है कि कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह (Cholesterol and Diabetes) आमतौर पर अनुवांशिक रोग होते हैं और केवल अनहेल्दी खान-पान और जीवनशैली के कारण होते हैं। हार्वर्ड हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कम समय के लिए गए नींद या नींद की कमी आपको कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह जैसी दोनों बीमारियों के खतरे में डाल सकती है। तो, आइए जानते हैं कि नींद कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह के स्तर को कैसे प्रभावित करती है-
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सोना क्यों जरूरी है ?
नींद आपके शरीर और दिमाग को दुरुस्त करने और खुद को रिचार्ज करने में मदद करती है। नींद के दौरान मेलाटोनिन नामक एक हार्मोन का रिसाव आपके शरीर को आराम प्रदान करता है, जिससे ब्लड प्रेशर और हार्टबीट में थोड़ी गिरावट आती है। लेकिन अगर आप पर्याप्त नींद नहीं ले रहे हैं या सर्केडियन रिदम बाधित हो रहा है तो चीजें बदल सकती हैं। अनिद्रा आम तौर पर आपके शरीर को असामान्य रूप से काम कर सकती है। यह आपके शरीर को अगले दिन के लिए तैयार करने की आपकी मानसिक और शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित करता है। यह आपके मस्तिष्क को थका देता है, जिससे शरीर की नेचुरल कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।
नींद की कमी और कोलेस्ट्रॉल के बीच संबंध
नींद की कमी से हाई कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर हो सकता है। 2009 के एक अध्ययन में पाया गया कि जो पुरुष छह घंटे से कम सोते थे, उनमें LDL कोलेस्ट्रॉल अधिक था। इसके अतिरिक्त, जो महिलाएं लगभग समान मात्रा में सोती हैं उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। इसमें यह भी पाया गया कि नींद, पुरुषों और महिलाओं को अलग तरह से प्रभावित करती है। नींद की कमी लेप्टिन के स्तर को कम कर सकती है, एक हार्मोन जो मेटाबॉलिज़्म और भूख को सामान्य बनाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जो लोग मोटे होते हैं उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर अक्सर अधिक होता है। साल 2020 में भी इंस्टीट्यूट ऑफ मिलिट्री कॉग्निटिव एंड ब्रेन साइंसेज, एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज, बीजिंग के एक शोध से पता चला है कि नींद की कमी ने सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा दिया और लीवर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ गई।
मधुमेह और नींद की कमी
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, अनियमित स्लीप पैटर्न के कारण शरीर इंसुलिन रजिस्टेंस बढ़ सकता है। Diabetes Care के 2009 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि लगातार अनिद्रा वाले लोगों में टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह, रात में बार-बार पेशाब आने के कारण मधुमेह वाले लोग अक्सर नींद से वंचित रह जाते हैं। यहां तक कि अगर आपको प्रीडायबिटीज है, तो खराब नींद के पैटर्न आपके ग्लूकोज इंटोलरेंस को और खराब कर सकते हैं।
प्रतिदिन कितने घंटे की नींद लेनी चाहिए?
अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन और स्लीप रिसर्च सोसाइटी की सलाह है कि वयस्कों को प्रतिदिन कम से कम सात से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। देर रात तक जगने का मतलब है ज्यादा देखना और खाना, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर जंक फूड का सेवन होता है जो कार्ब्स और चीनी में हाई होता है। यह सब टाइप 2 मधुमेह के खतरे को बढ़ाता है और मोटापे से समान रूप से जुड़ा हुआ है।