पित्ताशय की थैली में बनने वाले गॉलस्टोन छोटे पत्थर होते हैं, जो पित्त की थैली में बनते हैं। पित्ताशय में बनी पथरी लीवर के नीचे होती है। पित्त की पथरी बहुत दर्दनाक हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक यदि गॉलब्लैडर की पथरी का समय पर इलाज नहीं किया गया तो इसे निकालने के लिए एक ऑपरेशन की आवश्यकता हो सकती है।
आपको बता दें कि पित्ताशय में कोलेस्ट्रोल के जमने या उसके सख्त होने के कारण पथरी की शिकायत हो जाती है। ऐसे में रोगी को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है और साथ में खाना पचने में भी दिक्कत आने लगती है।
गॉल ब्लैडर और लिवर के बीच के बीच बाइल डक्ट नामक एक छोटी-सी नली होती है, जिसके माध्यम से यह पित्त को गॉलब्लैडर तक पहुंचाता है। जब व्यक्ति भोजन करता है तो यही ब्लैडर पित्त को पिचकारी की तरह खींच कर उसे छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में भेज देता है, जिसे डुओडेनियम कहा जाता है। पित्त के जाने के साथ ही पाचन क्रिया की शुरुआत हो जाती है।
आपको बता दें कि पित्ताशय में मौजूद पित्त में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल एंजाइम नहीं घुलता जिसके कारण ठोस बन कर पत्थर का आकार ले लेता है। इसके अलावा आपको बता दें कि पित्त में बहुत अधिक बिलीरुबिन होता है, जैसे यकृत के सिरोसिस या कुछ रक्त विकारों के कारण भी यह आगे चलकर स्टोन बन जाता है।
गॉल ब्लैडर स्टोन बनने की वजह: पित्ताशय में पथरी बनने का अभी कोई स्पष्ट कारण नहीं है। इसके साथ ही इसके होने का कोई निर्धारित उम्र नहीं है। लेकिन कुछ ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से गॉलस्टोन्स की संभावना को बढ़ा सकते हैं जैसे कि मधुमेह या डायबिटीज (Diabetes), मोटापा (Obesity), गर्भधारण (Pregnancy), मोटापे की सर्जरी के बाद (Post bariatric surgery) या कुछ दवाओं का सेवन के कारण भी यह समस्या हो सकती है। इसके अलावा ब्रेड, रस्क और अन्य बेकरी उत्पाद आदि का सेवन पित्ताशय (pittashay)के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। दरअसल इन फूड्स में सैचुरेटेड और ट्रांस फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और इनमें से ज्यादातर फूड्स मैदे से बने होते हैं।
गॉल ब्लैडर स्टोन के लिए घरेलू इलाज: पित्ताशय में पथरी से बचने के लिए खानपान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। चलिये जानते हैं कि पित्ताशय में पथरी होने पर क्या खाना और किनसे परहेज करना चाहिए –गाजर और ककड़ी का रस, नींबू का रस, नाशपाती पित्त की पथरी में फायदेमंद होती है। इसके अलावा विटामिन-सी से संबंधित फल या दवाइयां ले सकते हैं। अधिक से अधिक हरी सब्जियां और खट्टे फलों का सेवन करें। वहीं परहेज में तली-भुनी चीजें, प्रोसेस्ड फूड, शराब, सिगरेट, चाय, कॉफी तथा शक्कर युक्त पेय से जितना हो सके बचने की कोशिश करें।