मगर ऐसा नहीं है। सर्दी का मौसम भी आंखों की सेहत की दृष्टि से काफी संवेदशील होता है। इन दिनों महानगरों में धूल और धुएं की गहरी परत छाई हुई है, जिसकी वजह से लोगों को सांस की तकलीफ के साथ-साथ आंखों में जलन, आंखों से पानी गिरने, खुजली, कीचड़, आंखों में रूखापन आदि की समस्या हो रही है। इसलिए सर्दी के मौसम में भी आखों की देखभाल की जरूरत उतनी ही है, जितनी तेज गर्मी और बरसात की चिपचिपाहट वाले मौसम में। थोड़ी-सी सावधानी बरतें, तो इस मौसम में आंखों को स्वस्थ रखा जा सकता है।
कम नमी के कारण सर्दियों में आंखों में सूखापन, खुजली होना एक आम समस्या है। विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर ठंड के मौसम में नमी कम हो जाती है। इसके चलते आंखों में सूखापन आ जाता है और खुजली होती है। फिर जब हम आंखों में खुजली करने के लिए अंगुली आदि का इस्तेमाल करते हैं, तो उनमें चिपके बैक्टीरिया आंखों में संक्रमण पैदा कर देते हैं।
इसके अलावा, अधिकांश लोग ठंड से बचने के लिए अपने घरों, दफ्तरों और राह चलते गाड़ी में हीटर चलाते हैं। ग्रामीण इलाकों में अलाव जलाए जाते हैं। ऐसे में इस मौसम में हवा में नमी का स्तर वैसे ही कम होता है, जो हीटर और अलाव जलाने से और कम हो जाता है, जिससे आंखों की नमी उड़ जाती है। अलाव के पास बैठने से उसके धुएं के कण आंखों और फेफड़े को प्रभावित करते हैं। आंखों में धुआं जलन पैदा करता है। आंखों में खुजली बढ़ जाती है और आंखें लाल रहने लगती हैं। इस मौसम में खासकर आंखों की नमी को बरकरार रखने पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। आंखों में नमी कम होने से न केवल मौसमी समस्या बढ़ जाती है, बल्कि धीरे-धीरे आंखों की रौशनी भी कम होने लगती है।
जब आग जलाएं
कई लोगों को सर्दी का मौसम बहुत परेशान करता है। खासकर अधिक उम्र के लोगों को ठंड में तकलीफ बढ़ जाती है। ऐसे में वे हीटर या अलाव के बिना रह नहीं पाते। ऐसे लोगों को चाहिए कि जब भी वे हीटर या अलाव जलाएं, तो कमरे के भीतर एक चौड़े बर्तन में पानी भर कर रख दें। इससे कमरे में वाष्पन होता रहता है और नमी बरकरार रहती है। हीटर जलाने से खतरा यह भी रहता है कि कार्बन के कण टूट कर जहरीला रूप ले लेते हैं।
इससे सांस और आंखों की तकलीफ और बढ़ जाती है। पानी रखने से यह समस्या काफी हद तक कम हो जाती है। इससे आपकी त्वचा में भी रूखापन नहीं आ पाता और आंखों पर दबाव कम पड़ता है। अगर कार में चलते हुए हीटर का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो ध्यान रखना चाहिए कि हवा का रुख आपके शरीर के निचले हिस्से की तरफ हो। इससे उसकी गरम हवा सीधे आंखों की तरफ नहीं आएगी।
पानी पीएं
यह सही है कि गर्मी और बरसात की अपेक्षा सर्दियों में प्यास कम लगती है। पानी ठंडा होने की वजह से पीने का मन भी नहीं करता। मगर सर्दी में भी शरीर में पानी की उतनी ही जरूरत होती है, जितनी दूसरे मौसम में। इसलिए इस मौसम में भी थोड़ी-थोड़ी देर में गुनगुना पानी पीते रहें। इससे दो फायदे होते हैं। एक तो शरीर में पानी की कमी नहीं होने पाती, दूसरे, गले में बैक्टीरिया वगैरह के संक्रमण की आशंका दूर हो जाती है। फिर आंखों की नमी बरकरार रखने में भी इससे बहुत मदद मिलती है।
चश्मा, टोपी, मास्क
इस मौसम में आंखों को सबसे अधिक खतरा बाहर निकलने पर होता है। बाहर की ठंडी हवा सीधे आंखों में घुसती है और उस हवा में घुले-मिले धूल कण और धुआं, जो कि आमतौर पर जहरीला होता है, आंखों में घुसते हैं। उसकी वजह से आंखों की तकलीफ अधिक बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि इस मौसम में भी जब घर से बाहर निकलें तो आंखों पर चश्मा जरूर पहनें। इस तरह आंखों में सीधे हवा नहीं घुस पाती। सांसों में जहरीली हवा से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। सिर और कानों में ठंडी हवा लगने से भी आंखों पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए गर्म टोपी अवश्य पहनें।
शृंगार में सावधानी
खासकर महिलाओं को इस मौसम में शृंगार करते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे आंखों में काजल, मस्कारा आदि का इस्तेमाल करने से बचें। इन सौंदर्य प्रसाधनों में बाहर के धूल कण और उनमें शामिल बैक्टीरिया आदि के चिपक कर आंखों में परेशानी पैदा करने का खतरा अधिक रहता है। (यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)