फैटी लीवर एक ऐसी परेशानी हैं जिसमें लीवर में वसा जमा होने लगती है। इस परेशानी के प्रमुख जोखिम कारकों में मोटापा, टाइप 2 मधुमेह और अत्यधिक शराब का सेवन करना शामिल हैं। लिवर सिरोसिस को अक्सर फैटी लिवर रोग की आखिरी स्टेज के रूप में जाना जाता है। इस स्तर पर,अंग ठीक से काम नहीं कर पाता क्योंकि हेल्दी लीवर टिशू घाव वाले टिशू से बदल जाते हैं। इस प्रक्रिया को रिवर्स नहीं किया जा सकता।
फैटी लिवर होने पर पेट के ऊपर की तरफ राईट साइड दर्द होता है। मरीज को भृख कम लगती है और वजन तेजी से कम होने लगता है। इस परेशानी की वजह से आंखों का रंग पीला होने लगता हैं। पैरों में हल्की सूजन बनी रहती है। लीवर में घाव होने पर बॉडी के इन 3 अंगों में तेज दर्द होता है। आइए जानते हैं कि फैटी लीवर होने पर बॉडी के किन तीन अंगों में दर्द होता है। अगर जल्दी लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो समय रहते इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है।
पेट,गर्दन और कंधों में हो सकता है दर्द:
जब आपका लिवर ठीक से काम करना बंद कर देता है, तो आपको पेट, गर्दन और कंधों में दर्द हो सकता है। जैसे-जैसे आपके लीवर की स्थिति बिगड़ती है तो दर्द भी बढ़ने लगता है। यह दर्द सिरोसिस या फिर सिरोसिस को जन्म देने वाली बीमारियों के कारण होता है। ये दर्द काफी लम्बे समय तक चल सकता है।
सबसे ज्यादा दर्द कहां होता है?
लिवर सिरोसिस वाले अधिकांश लोग इस दर्द का अनुभव अपने पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में अपनी पसलियों के नीचे करते हैं। सिरोसिस के मरीजों को पीठ और जोड़ों में दर्द की भी शिकायत हो सकती है।
लीवर के कारण कंधे में दर्द:
कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार सूजे हुए और बढ़े हुए लिवर से इंसान के दाहिने कंधे में दर्द हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बढ़ा हुआ लीवर नसों को उत्तेजित करता हैं जो कंधों में नसों से जुड़ता हैं।
रिसर्च के मुताबिक लीवर की बीमारी होने पर मरीज की कलाई में दर्द होता है:
एक रिपोर्ट में लीवर के मरीज ने अपनी दाहिनी कलाई में दर्द का अनुभव किया। एक्सप्रेस यूके के हवाले से डॉक्टर ने बताया कि मरीज इस दर्द के लिए उसके द्वारा किए जाने वाले कंप्यूटर काम को जिम्मेदार मानता था लेकिन जब दोनों कलाई में दर्द और सूजन हो गई तो उसने अपने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि ये दर्द लीवर की वजह से हो रहा है।