डॉ. समनजॉय मुखर्जी
हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप दिल की बीमारी के लिए जोखिम का प्राथमिक कारक है, जिसकी वजह से स्ट्रोक, रोशनी धुंधली होना, डिमेंशिया, दिल का दौरा और गंभीर किडनी रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं। अक्सर लोगों को दिल का दौरा या फिर स्ट्रोक पड़ने पर ही इस बीमारी का पता चलता है। इसका एक कारण यह भी है कि हाई बीपी का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता, जिसके कारण समय रहते बीमारी का पता नहीं चल पाता।
हाइपरटेंशन को दिल की बीमारी के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक माना जाता है। इसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है। क्योंकि, शुरुआती चरणों में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। आंकड़ों के अनुसार, एक अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में करीब 1 अरब लोग हाई बीपी से पीड़ित हैं। हालांकि, इनमें से लगभग आधी आबादी को अपनी स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
हाई बीपी के जोखिम के कारक:
-उम्र: उम्र के साथ हाइपरटेंशन का जोखिम भी बढ़ता है। ज्यादा उम्र वाले लोगों को उच्च रक्तचाप की संभावना भी ज्यादा होती है। (64 साल की उम्र तक, पुरुष में उच्च रक्त चाप होना काफी आम है, लेकिन महिलाओं में यह 65 साल की उम्र के बाद भी हो सकता है।
-नमक खाना: आहार में ज्यादा नमक और अपर्याप्त पोटेशियम होने से शरीर में ज्यादा द्रव्य रहता है, जिससे सीधे तौर पर रक्त चाप बढ़ता है।
-मोटापा और वज़न ज्यादा होना: वजन बढ़ने के साथ, ऊतकों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करने के लिए ज्यादा खून की जरूरत होती है, जिस वजह से उच्च रक्तचाप का जोखिम बढ़ जाता है।
-आहार की खराब आदतें: आहार में नमक की मात्रा कम कर दें। हरी पत्तेदार सब्जियों और फलों वाला सेहतमंद खाना खाने का सुझाव दिया जाता है।
-शराब पीना और तंबाकू का सेवन करना: धूम्रपान, तंबाकू या शराब का सेवन करने से भी रक्तचाप अस्थाई रूप से बढ़ जाता है। तंबाकू में मौजूद केमिकल आर्टरी वॉल की परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे वे संकरी होती जाती है और दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है।
-अनुवांशिक: अगर परिवार में किसी को हाई बीपी की समस्या है, तो भी जोखिम हो सकता है।
संकेत और लक्षण: हाई बीपी की समस्या से जूझ रहे लोगों को तेज सिर दर्द, चक्कर आना और रोशनी धुंधली होने जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
(लेखक परिचय: सलाहकार – सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डिएक साइंस, एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल्स)