राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई है। लोकसभा सचिवालय ने इस संबंध में 24 मार्च को नोटिफिकेशन भी जारी किया है। इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राहुल गांधी की संसद सदस्यता संविधान के आर्टिकल 102 (1) (E) के सेक्शन 8 व लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (representation of people’s act 1951) के तहत 23 मार्च से रद्द कर दी गई है।
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की संसद सदस्यता खत्म करने का आधार गुजरात की एक कोर्ट द्वारा उन्हें 2 साल की सजा को बनाया गया है। लोकसभा सचिवालय के इस नोटिफिकेशन के बाद अब चुनाव वायनाड सीट पर उपचुनाव की घोषणा कर सकता है। साथ ही कांग्रेस नेता से सांसद के तौर पर उन्हें मिले सरकारी बंगले को खाली करने को भी कहा जा सकता है।
किस मामले में राहुल गांधी को हुई थी सजा?
जिस मामले में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को सजा हुई है, वह 5 साल से भी पुराना है। राहुल गांधी ने एक चुनावी जनसभा में ‘मोदी’ सरनेम को लेकर एक टिप्पणी की थी। जिसके बाद उनके खिलाफ बीजेपी के विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दायर किया था।
सूरत की जिला अदालत ने 17 मार्च को इस मामले में सुनवाई पूरी की थी और तब फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। 23 मार्च को राहुल गांधी को मानहानि मामले में दोषी करार दिया और उन्हें 2 साल कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि कोर्ट ने उन्हें ऊपरी अदालत जाने के लिए 30 दिन का वक्त देते हुए जमानत भी दे दी थी।
क्या कहता है लोक प्रतिनिधित्व कानून?
सूरत की कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद ही कानून के तमाम जानकार इस बात की आशंका जता रहे थे कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की संसद सदस्यता छिन सकती है। दरअसल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, जैसे ही किसी संसद सदस्य को किसी भी अपराध में दोषी करार दिया जाता है, और कम से कम दो साल कैद की सज़ा होती है तो वह संसद सदस्य रहने की योग्यता खो देता है।
राहुल गांधी के पास अब क्या विकल्प?
जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी अयोग्यता से बच सकते हैं, अगर वह दोषसिद्धि के फैसले को पलटवाने में कामयाब हो जाते हैं।
कांग्रेस का क्या तर्क है?
उधर, कांग्रेस ने लोकसभा सचिवालय के इस नोटिफिकेशन पर सवाल खड़े किये हैं। कांग्रेस का कहना है कि सिर्फ राष्ट्रपति, चुनाव आयोग से बातचीत के आधार पर ही किसी सांसद की सदस्यता को रद्द कर सकते हैं।