यूपी एसटीएफ ने उमेश पाल मर्डर केस के आरोपी और बाहुबली अतीक अहमद के बेटे असद अहमद को एनकाउंटर में मार गिराया है। यह एनकाउंटर झांसी में हुआ। उमेश पाल के मर्डर के बाद से ही असद अहमद फरार चल रहा था और पुलिस ने उसे वांटेड घोषित किया था। असद के सिर पर 5 लाख रुपये का इनाम भी था।
CM ने कहा था- माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे
उमेश पाल मर्डर केस के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में इसी मसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) ने कहा था कि उनकी सरकार अतीक अहमद जैसे माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का काम करेगी।
1989 में शुरू की थी सियासत
बाहुबली अतीक अहमद (Atiq Ahmed) इन दिनों गुजरात के जेल (Gujarat Jail) में बंद है और 2016 के प्रयागराज में एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर मर्डर केस में सजा काट रहा है। पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके अतीक अहमद की राजनीतिक यात्रा साल 1989 में शुरू हुई थी। अतीक अहमद साल 1989 में पहली बार इलाहाबाद पश्चिमी सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरा और जीत हासिल की। इसके बाद अगले 2 विधानसभा चुनाव में निर्दलीय इस सीट से जीतता रहा। साल 1996 में समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली और सपा के टिकट पर चौथी बार इस सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रहा।
सपा से इनाम में मिली फूलपुर सीट
हालांकि बाद में अतीक अहमद और समाजवादी पार्टी के रिश्तों में खटास आई और 3 साल बाद अतीक ने अपना दल ज्वाइन कर लिया। साल 2002 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट से जीतने में सफल रहा। बाद में अतीक अहमद के समाजवादी पार्टी से रिश्ते सुधरे और दोबारा सपा में लौट आया। समाजवादी पार्टी ने अतीक को इसका इनाम भी दिया और साल 2004 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर जैसी महत्वपूर्ण सीट से चुनावी मैदान में उतारा। फूलपुर, कभी देश के पहले प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू की सीट हुआ करती थी। अतीक यहां से जीतकर संसद में पहुंचा।
कैसे शुरू हुई राजू पाल से दुश्मनी?
2004 का लोकसभा चुनाव ही अतीक अहमद और समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक राजू पाल (Raju Pal) से दुश्मनी की वजह बना। 2004 में सांसद बनने के बाद अतीक अहमद की इलाहाबाद पश्चिमी सीट खाली हो गई, इस सीट पर उपचुनाव हुए और अतीक अहमद ने अपने भाई अशरफ को चुनाव मैदान में उतारा। लेकिन अशरफ को बहुजन समाज पार्टी (BSP) के उम्मीदवार राजू पाल से हार का सामना करना पड़ा।
अतीक अहमद के लिए यह बड़ा झटका था, क्योंकि इलाहाबाद पश्चिमी सीट उसका गढ़ थी। यहीं से अतीक और राजू पाल के बीच अदावत की शुरुआत हुई। चुनाव जीतने के चंद दिनों बाद ही 25 जनवरी 2005 को राजू पाल की उनके घर के नजदीक गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बाद में राजू पाल की पत्नी ने अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ और 7 अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।
PM मोदी के खिलाफ लड़ चुका है चुनाव
अतीक अहमद ने तमाम दबाव के बाद साल 2008 में सरेंडर किया, लेकिन 2012 में रिहा हो गया। इसके बाद अतीक साल 2014 के लोकसभा चुनाव में फिर समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 2019 के चुनाव में वाराणसी सीट से पीएम मोदी के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुका है और महज 855 वोट मिले थे।
अतीक अहमद पर 70 से ज्यादा मुकदमें हैं दर्ज
रिपोर्ट्स के मुताबिक 60 साल के अतीक अहमद के ऊपर हत्या (Murder), हत्या का प्रयास, धमकाने और मारपीट के 70 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। साल 2017 में यूपी पुलिस ने अतीक अहमद को गिरफ्तार किया था। तब से जेल में हैं। यूपी सरकार उसकी कई संपत्तियों पर बुलडोजर चला चुकी है।