Ravish Kumar Biography: एनडीटीवी इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने चैनल से इस्तीफा (Ravish Kumar Resigns From NDTV) दे दिया है। वह एनडीटीवी इंडिया में ग्रुप एडिटर के पद पर कार्यरत थे। एनडीटीवी ग्रुप की प्रेसिडेंट सुपर्णा सिंह ने कंपनी के कर्मचारियों को ईमेल कर जानकारी दी है कि रवीश का इस्तीफा तुरंत प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया है। रवीश अब अपने यूट्यूब चैनल पर नजर आएंगे, इसकी जानकारी उन्होंने खुद ट्वीट कर दी है।
अपने चैनल का लिंक शेयर करते हुए उन्होंने लिखा है, ”माननीय जनता, मेरे होने में आप सभी शामिल हैं। आपका प्यार ही मेरी दौलत है। आप दर्शकों से एकतरफ़ा और लंबा संवाद किया है। अपने यू- ट्यूब चैनल पर। यही मेरा नया पता है। सभी को गोदी मीडिया की गुलामी से लड़ना है। आपका रवीश कुमार” बता दें कि रवीश कुमार एनडीटीवी के साथ पिछले ढाई दशक से जुड़े थे। चैनल छोड़ने के बाद, उनके अब तक के सफर की चर्चा हो रही है।
पत्र छांटने के काम से की थी शुरुआत
रवीश कुमार ने एनडीटीवी में अपने सफर की शुरुआत बहुत नीचे से की थी। वह साल 1996 में एनडीटीवी से जुड़े थे। तब उन्हें चैनल में चिट्ठी छांटने का काम मिला था। वह कई इंटरव्यू में बता चुके हैं कि चिट्ठी छांटने के दौरान ही वह दर्शकों के आकांक्षाओं से परिचित हुए।
आउटलुक को दिए एक इंटरव्यू में रवीश बताते हैं कि, ”मुझे कॉलेज की पढ़ाई के दौरान पता चला था एनडीटीवी में एक डेली जॉब है। मेरा काम डीडी पर गुड मॉर्निंग इंडिया शो के लिए आने वाले पत्रों को अलग करना था। मैं इसी के जरिए न्यूजरूम में दाखिल हुआ था। वरना मुझे न तो अखबार में कोई नौकरी मिल रही थी, न ही टेलीविजन में। इस काम ने मुझे मीडिया के बारे में बहुत कुछ समझाया। यही करते हुए मुझे पता चला कि लोग किसी शो पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, वे उससे क्या उम्मीद करते हैं।”
फिर अनुवादक की मिली नौकरी
पांच माह पत्र छांटने का काम करने के बाद रवीश ने एमफिल में एडमिशन ले लिया। लेकिन वह पत्रों को छाँटने और प्रसिद्ध प्रोफेसरों से पढ़ने के लालच के बीच संघर्ष करने लगे। आखिरकार उन्होंने एमफिल छोड़ दिया। रवीश बताते हैं, ”शिबानी शर्मा ने मुझे NDTV में अनुवादक की नौकरी दिलवा दी। फिर एनडीटीवी इंडिया लॉन्च हुआ और मैंने कुछ समय डेस्क पर काम किया। मैं विचारों से भरा हुआ था, आसपास के लोगों के साथ उनका आदान-प्रदान करता रहता था, ईमेल भेजता रहता था, खबरों को एक ही नजरिए से देखे जाने पर चिढ़ जाता था।”
‘रवीश की रिपोर्ट’ से मिली पहचान
रवीश को जब रिपोर्टिंग का मौका मिला, तो उन्होंने गरीब, मज़दूर, हाशिये के लोगों के मुद्दों को उठाना शुरू किया। उनकी पत्रकारिता को सबआल्टर्न पत्रकारिता का उदाहरण बताया जाने लगा। उन्होंने पत्रकारों की भीड़ में अपनी अलग पहचान ‘रवीश की रिपोर्ट’ से बनायी। दूसरे शब्दों में ‘रवीश की रिपोर्ट’ को उनके यश का आधार कह सकते हैं।
देखते ही देखते वह एनडीटीवी इंडिया का प्रमुख चेहरा बन गए। वह चैनल के सबसे प्रमुख कार्यक्रमों को होस्ट करने लगे। उन्होंने एनडीटीवी इंडिया के प्राइम टाइम कार्यक्रम ‘प्राइम टाइम विद रविश’ से फुल टाइम एंकरिंग की शुरुआत की थी। इसमें उन्होंने जनसरोकार के मुद्दों पर जोर दिया। नौकरी, बैंक और विश्वविद्यालयों की हालत चलाई गई उनकी सीरीज को दर्शकों ने जमकर सराहा था।
रवीश ने ‘हम लोग’ और ‘देस की बात’ जैसे कार्यक्रमों को भी किया, जो खूब चर्चित हुए। रवीश अपने सत्ता विरोधी स्टैंड के लिए के लिए कभी प्रशंसा तो कभी आलोचना के पात्र बने। सांप्रदायिकता के सवाल को भी वह प्रमुखता से रेखांकित करते रहे हैं।
पत्रकारिता के लिए मिला ‘एशिया का नोबेल’
साल 2019 में रवीश कुमार को प्रतिष्ठित रैमॉन मैगसेसे सम्मान से नवाजा गया था। रैमॉन मैगसेसे को एशिया का नोबेल भी कहा जाता है। इस पुरस्कार से उन लोगों को सम्मानित किया जाता है, जो एशिया में साहसिक और परिवर्तनकारी नेतृत्व का पर्याय बनते हैं। अवॉर्ड देने वाले संस्थान ने रवीश को ‘Voice To The Voiceless’ कहा था।
रैमॉन मैगसेसे के अलावा रवीश को 2010 में गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार भी मिल चुका है। 2013 और 2017 में रवीश को उनकी पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। साल 2016 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ पत्रकार का रेड इंक अवॉर्ड मिला था। 2017 में रवीश कुमार को पहला कुलदीप नैयर पत्रकारिता अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
रवीश की पत्रकारिता पर बन चुकी है डॉक्यूमेंट्री
रवीश कुमार ‘इश्क़ में शहर होना’, ‘देखते रहिए’, ‘फ्री वॉयस’ जैसी चर्चित किताबें लिख चुके हैं। उनकी पत्रकारिता पर ‘While We Watched’ नाम से एक डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है। विनय शुक्ला के निर्देशन में बनी While We Watched को हाल में न्यू यॉर्क के IFC सेंटर में दिखाया गया था। बता दें कि विनय शुक्ला ने इससे पहले अरविंद केजरीवाल पर ‘An Insignificant Man’ नाम से एक फिल्म बनाई थी।