सूरत की एक कोर्ट द्वारा मानहानि के मामले में दोषी ठहराए और सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सांसदी चली गई है। 23 मार्च को ही सूरत की कोर्ट ने ‘मोदी सरनेम’ को लेकर दिए कथित विवादित बयान पर राहुल गांधी को 2 साल कैद की सजा सुनाई थी। इस सजा को आधार बनाते हुए लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सदस्यता रद्द करने का नोटिफिकेशन जारी किया है।
साल 2019 के चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो राहुल गांधी इकलौते ऐसे सांसद नहीं थे, जिनपर आपराधिक मामला दर्ज था। 2019 में चुनकर आए कुल सांसदों में से 233 यानी करीब आधे सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे। इसमें भी सर्वाधिक सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद थे।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने साल 2019 के चुनाव नतीजों के बाद एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में उसने 539 सांसदों के शपथ पत्र का विश्लेषण किया था। इस विश्लेषण के मुताबिक 43 फीसदी सांसद ऐसे थे, जिनके उपर आपराधिक मुकदमे दर्ज थे।

2019 में चुनाव जीते BJP के सर्वाधिक MP ‘दागी’
2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 303 सांसद चुनाव जीते थे। एडीआर के मुताबिक इसमें से 39 फीसदी यानी 116 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। बीजेपी के बाद कांग्रेस (Congress) दूसरे नंबर पर थी। कांग्रेस के तो आधे से ज्यादा, 57 फ़ीसदी सांसद आपराधिक मामलों का सामना कर रहे थे। पार्टी ने 52 सीटें जीती थीं, और उसके 29 सांसदों पर आपराधिक केस थे। तीसरे नंबर पर जदयू थी, जिसके 13 सांसद (81%) पर अपराधिक मामला चल रहा था।

29 फीसदी सासदों के खिलाफ रेप-मर्डर जैसे गंभीर मुकदमें
2019 में चुनाव जीते 29 फीसदी सांसद ऐसे थे, जिनके खिलाफ रेप, मर्डर, अटेम्प्ट टू मर्डर, महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे गंभीर आपराधिक मामले चल रहे थे। अगर गंभीर मामलों की बात करें तो 2009 के मुकाबले 2019 आते-आते गंभीर मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या में 109 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हो गई।

10 साल में 20 फीसदी बढ़े ‘दागी’ सांसद
आकड़ों पर नजर डालें तो लोकसभा में साल दर साल ‘दागी’ सांसदों की संख्या में इजाफा हुआ है। 2009 और 2019 के बीच दस सालों में दागी सांसदों की संख्या में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 2009 में 162 सांसद ऐसे थे, जिनपर आपराधिक मामला दर्ज था। यह करीब 30 फीसदी है। 2014 के चुनाव में आपराधिक मामले में फंसे सांसदों की संख्या बढ़कर 185 हो गई थी। जो कुल सांसदों का 34 फीसदी था। (पढ़ें- सांसदी जाने के बाद राहुल गांधी के पास क्या विकल्प?)