NDTV Takeover: न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (NDTV) की कमान अब गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनी के पास आने वाली है। चैनल की प्रमोटर कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड (RRPRH) में अडानी समूह की ओर से तीन डायरेक्टर नामित कर दिए गए हैं।
यह कदम संस्थापक-प्रवर्तक प्रणय रॉय (Prannoy Roy) और राधिका राय (Radhika Roy) के निदेशक मंडल से इस्तीफे के बाद उठाया गया।इस घटनाक्रम के बाद एनडीटीवी के हिंदी उपक्रम एनडीटीवी इंडिया (NDTV India) के समूह संपादक रवीश कुमार (Ravish Kumar) ने भी चैनल के साथ अपना रिश्ता खत्म कर लिया है।
मंगलवार (29 नवंबर) को RRPRH ने अडानी ग्रुप (Adani Group) के विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL) को 99.9 प्रतिशत शेयर ट्रांसफर कर दिया था। देश के सबसे पुराने टीवी न्यूज़ चैनल में से एक एनडीटीवी में इस उथल-पुथल के बाद सोशल मीडिया पर लोग चैनल के शुरुआती सफर और टीम को याद कर रहे हैं।
जानिए प्रणय रॉय की शुरुआती टीम का पॉलिटिकल और ब्यूरोक्रैटिक कनेक्शन
प्रणय रॉय की शुरुआती टीम में सोनिया वर्मा (अब सोनिया सिंह), विक्रम चंद्रा, बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई, श्रीनिवासन जैन, विष्णु सोम और माया मीरचंदानी जैसे कई नामी पत्रकार रहे। इनमें से कई आज भी एनडीटीवी के प्रमुख चेहरे हैं। इनमें से ज्यादातर ‘एलीट क्लास’ से ही आते हैं।
शुरुआती टीम में शामिल विक्रम चंद्र सिविल एविएशन के पूर्व डायरेक्टर जनरल योगेश चंद्र के बेटे थे। योगेश चंद्र खुद कर्नाटक के राज्यपाल गोविंद नारायण के दामाद हैं। गोविंद नारायण पूर्व गृह और रक्षा सचिव भी रह चुके हैं।
एनडीटीवी के टॉप बिजनेस हेड में से एक केवीएल नारायण राव सेना के पूर्व जनरल केवी कृष्ण राव के बेटे थे। कृष्ण राव जम्मू और कश्मीर और अन्य राज्यों के राज्यपाल भी रह चुके थे।
राजदीप सरदेसाई अपने जमाने के दिग्गज क्रिकेटर दिलीप सरदेसाई के बेटे और दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक भास्कर घोष के दामाद हैं। बरखा दत्त की मां प्रभा दत्त वरिष्ठ पत्रकार थीं।
अर्नब गोस्वामी भी एनडीटीवी का हिस्सा थे। वह एक सेना अधिकारी और भाजपा नेता मनोरंजन गोस्वामी के बेटे हैं। मनोरंजन के भाई दिनेश गोस्वामी वीपी सिंह सरकार में केंद्रीय कानून मंत्री थे।
श्रीनिवासन जैन प्रसिद्ध अर्थशास्त्री देवकी जैन और जाने-माने एक्टिविस्ट एलसी जैन के बेटे हैं, जो योजना आयोग के सदस्य और दक्षिण अफ्रीका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी काम कर चुके हैं।
निधि राजदान भी एनडीटीवी की शुरुआती कर्मचारियों में से एक हैं। वह प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के प्रधान संपादक रह चुके एमके राजदान की बेटी हैं। विष्णु सोम पूर्व वरिष्ठ राजनयिक हिमाचल सोम के बेटे हैं।
एनडीटीवी में सीनियर मैनेजिंग एडिटर चेतन भट्टाचार्जी पूर्व कैबिनेट सचिव और पंजाब के राज्यपाल निर्मल मुखर्जी के पोते हैं। इन शुरुआती कर्मचारियों में शामिल सभी महिला पुरुष को “रॉयज़ बॉयज़” कहा जाता था।
संयोग या सहयोग?
कृष्ण कौशिक ने कारवां के लिए लिखे अपने विस्तृत लेख में रॉय की शुरुआती टीम का जिक्र किया है। साथ ही, उन्होंने एनडीटीवी के पूर्व कर्मचारी संदीप भूषण से बातचीत के हवाले से भी एक जानकारी लिखी है। संदीप एक दशक तक एनडीटीवी का हिस्सा रहे हैं। वह कृष्ण कौशिक की रिपोर्ट में बताते हैं कि सन् 2000 के आसपास उन्होंने चैनल के साथ काम करने के लिए आवेदन किया था। उनका इंटरव्यू बहुत अच्छा हुआ था। लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। बाद में उन्होंने एक ब्यूरोक्रेट के रेफरेंस से उसी पद के लिए आवेदन किया और इस बार उन्हें नौकरी पर रख लिया गया।
दूरदर्शन के लिए प्रोग्राम बनाने से हुई थी NDTV की शुरुआत
एक चौथाई सदी से भी अधिक पुराने इस चैनल की स्थापना साल 1988 में राधिका रॉय और प्रणय रॉय ने की थी। तब एनडीटीवी दूरदर्शन के लिए कार्यक्रम बनाया करता था। इसके लिए दूरदर्शन की तरफ से एनडीटीवी को दो लाख रुपये प्रति एपिसोड मिलता था। बाद में एनडीटीवी ने पैसे देकर अपने प्रोग्राम्स को दूरदर्शन पर चलवाने लगा और सीधे विज्ञापन से पैसे कमाने लगा। (पढ़ें पूरी खबर)
स्टार के साथ 24×7 चैनल की शुरुआत
1998 में एनडीटीवी ने स्टार न्यूज के साथ मिलकर भारत का पहला 24 घंटे का समाचार चैनल शुरू किया। आजादी बाद लंबे समय तक टीवी न्यूज़ चैनल सरकार के अधीन का काम किया करते थे। बाद में निजी चैनल भी खुले और उदारीकरण के बाद उनमें विदेशी निवेश भी हुए। इससे एनडीटीवी भारत का सबसे सशक्त प्राइवेट न्यूज़ चैनल के रूप में उभरा।
स्टार का पैसा, एनडीटीवी का कंटेंट
द कारवां की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि सन् 2002 में एनडीटीवी ने प्रति वर्ष 20 मिलियन डॉलर का इंतजाम किया था। इस 20 मिलियन डॉलर का एक बड़ा हिस्सा स्टार न्यूज से आता था। तब तक आज-तक और ज़ी जैसे चैनल मार्केट में आ चुके थे।
स्टार के पैसों ने एनडीटीवी को नए प्राइवेट चैनलों से मुकाबले के लिए तैयार किया। चैनल ने पैसों से बेहतर उपकरण खरीदने, आकर्षक ग्राफिक्स बनाने और सबसे महत्वपूर्ण सर्वश्रेष्ठ टैलेंट को अपने पास लाने का काम किया।
जब पहली बार NDTV के शो में पहुंचे थे नरेंद्र मोदी
साल 1999 की बात है। उसी दौरान अरुण जेटली के रिप्लेसमेंट के तौर पर नरेंद्र मोदी पहली बार 1999 में एनडीटीवी के दफ्तर पहुंचे थे। वह बतौर पैनलिस्ट भाजपा का पक्ष रखने के लिए एनडीटीवी के शो ‘रविवार’ में शामिल हुए थे। (पढ़ें पूरी खबर)