सूरत (गुजरात) की एक अदालत द्वारा चार साल पुराने आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की सजा सुनाये जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द हो गई। इसे लेकर भारतीय राजनीति का पारा चढ़ा हुआ है। हालांकि 2013 में गुजरात के एक मंत्री को गुजरात की ही एक अदालत ने तीन साल कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन वह अयोग्य साबित नहीं हुए थे। वह विधायक और मंत्री दोनों बने रहे थे।
क्या है मामला?
जून 2013 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री बाबूभाई बोखीरिया को पोरबंदर की अदालत ने खनिज घोटाले के मामले में 3 साल कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने उन्हें 54 करोड़ रुपये की खनिज चोरी के मामले में दोषी पाया था। हालांकि स्थानीय अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद भी वे मंत्री बने रहे थे। बाबूभाई बोखीरिया तब गुजरात सरकार में जल संसाधन मंत्री थे।
खनिज घोटाले मामले में अदालत ने बाबूभाई बोखीरिया के अलावा भीमा दुला, भरत ओडेदरा, लक्ष्मण ओडेदरा को भी तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। फैसला सुनाने के बाद स्थानीय अदालत ने बोखीरिया को सात दिनों की जमानत पर रिहा किया था ताकि वह ऊपरी कोर्ट में अपील कर सके।
यहां इस तथ्य पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को सजा के बाद अयोग्य ठहराने के संबंध में शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट) का फैसला एक महीने बाद जुलाई 2013 में आया था।
इस्तीफे की उठी थी मांग
राज्य विधानसभा में विपक्ष के तत्कालीन नेता शंकरसिंह वाघेला ने अदालत के आदेश के तुरंत बाद बोखीरिया के मंत्रिमंडल से इस्तीफे की मांग की थी।
2006 में सौराष्ट्र केमिकल कंपनी के प्रबंधक उमेश भावसार ने बोखीरिया और अन्य के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने उस भूमि से अवैध रूप से चूना पत्थर का खनन किया था, जहां कंपनी खनन अधिकार रखती है।
2014 में हुए थे बरी
जून 2013 में पोरबंदर की अदालत द्वारा दोषी ठहराए वाले बोखीरिया को सेशन कोर्ट ने नवंबर 2014 में बरी कर दिया था। 2012 के विधानसभा चुनावों में बोखीरिया से मात खाने वाले कांग्रेस नेता अर्जुन मोधवाडिया ने कहा, “2013 में बाबूभाई मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, उन्होंने बोखीरिया को अदालत के फैसले के बाद इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा था।” 2022 के हालिया विधानसभा चुनावों में मोधवाडिया ने बोखीरिया को हरा दिया था।