गुजरात हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की डिग्री से जुड़े मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। हाईकोर्ट, गुजरात यूनिवर्सिटी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री सार्वजनिक करने की मांग की थी।
गुजरात यूनिवर्सिटी की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने जस्टिस बिरेन वैष्णव (Biren Vaishnav) की बेंच के सामने बहस किया। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि प्रधानमंत्री की डिग्री सोशल मीडिया वगैरह पर सार्वजनिक है और इसमें छिपाने जैसा कुछ नहीं है, लेकिन कोई हमें सूचना सार्वजनिक करने से मजबूर नहीं कर सकता है।
बहस में SG तुषार मेहता ने क्या तर्क दिया?
तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि किसी की बचकाना और गैर जिम्मेदाराना जिज्ञासा को शांत करने के लिए हम ऐसी सूचना सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं। यह भी गौर किया जाना चाहिए कि जो सूचना मांगी गई है उसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सार्वजनिक जीवन से कोई लेना देना नहीं है। किसी भी लोकतंत्र में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि पद पर बैठा शख्स डॉक्टरेट है या अनपढ़ है। इस मामले में पब्लिक का भी कोई हित नहीं है और इससे प्राइवेसी भी प्रभावित हो रही। एसजी तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट का हवाला भी दिया।
कल को कोई राष्ट्रपति का बैंक बैलेंस पूछने लगे तो?
सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि कल को कोई आरटीआई (RTI) के तहत राष्ट्रपति का बैंक बैलेंस या उनकी हाइट जैसा ब्यौरा मांगने लगे तो? क्या यह लॉजिकल है? क्या इसमें पब्लिक का कोई हित जुड़ा है? हमारे संविधान में चुनाव लड़ने के लिए किसी खास शैक्षणिक योग्यता का जिक्र नहीं है।
केजरीवाल के वकील ने क्या जवाब दिया?
Bar&Bench की एक रिपोर्ट के मुताबिक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट पर पर्सी कविना (Percy Kavina) ने कहा कि इसमें कोई बचकानी या गैर जिम्मेदारना जिज्ञासा नहीं है, जैसा कि बताया जा रहा है। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि गुजरात यूनिवर्सिटी ने इसको चैलेंज जी क्यों किया, जबकि इससे उनके किसी भी अधिकार पर फर्क नहीं पड़ रहा। एडवोकेट कविना ने कहा कि मेरे मित्र SG तुषार मेहता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री इंटरनेट पर मौजूद है… यह सही नहीं है। पीएम का राजीव शुक्ला के साथ एक इंटरव्यू इंटरनेट पर मौजूद है… डिग्री नहीं है, इसीलिए हमने कॉपी मांगी थी।
डिग्री है तो दिखा दीजिये, यही बेस्ट सबूत…
एडवोकेट कविना (Percy Kavina) ने कहा कि अगर आप प्रधानमंत्री का नॉमिनेशन फॉर्म देखें तो वहां उनके एजुकेशन क्वालिफिकेशन का जिक्र है। इसीलिए हम डिग्री मांग रहे हैं, न कि मार्कशीट मांगी। इसपर SG मेहता ने कहा कि इस मामले पर पूरा देश कोर्ट के फैसले को जानना चाहेगा। कविना ने कहा, इसीलए सबसे अच्छा तरीका यह है कि यह दिखा दें कि इंटरनेट पर डिग्री मौजूद है…यही सबसे अच्छा सबूत होगा। इसका जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हां बिल्कुल मौजूद है, लेकिन हम एक राज्य के उच्च न्यायालय का इस तरीके से मजाक नहीं बनाना चाहते हैं।