58 साल पहले 29 अगस्त 1964 में ‘राष्ट्रीय सेवक संघ’ की छाया में बना एक संगठन आज दावा करता है कि उसके एक आयोजन के कारण देश के पूर्व प्रधानमंत्री चुनाव हार गए थे, वह संगठन दावा करता है कि उसने ही भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की नींव रखी थी। इस संगठन से जुड़े कई लोग भारतीय राजनीति में बड़ा पद हासिल कर चुके हैं। कथित तौर 6 करोड़ से ज्यादा लोग इस संगठन के सदस्य हैं। जबकि 1980 के दशक के शुरुआती वर्षों तक यह संगठन आम लोगों के बीच कोई खास पहचान भी नहीं बना पाया था। उस संगठन का नाम है ‘विश्व हिंदू परिषद’
VHP की स्थापना का कांग्रेस कनेक्शन?
कृष्ण जन्माष्टमी को विश्व हिंदू परिषद के गठन में स्वामी चिन्मयानंद, सुशील मुनि, तुकडोजी महाराज, कर्ण सिंह, जया चमराज वाडियार, केएम मुंशी, सीपी रामास्वामी अय्यर और मास्टर तारा सिंह शामिल थे। दिलचस्प बात यह है कि वीएचपी के संस्थापक तुकडोजी महाराज उस ‘भारत साधु समाज’ के पहले अध्यक्ष थे, जिसकी स्थापना में कांग्रेस की भूमिका भी बतायी जाती है।
नोत्रे दोमे विश्वविद्यालय में इतिहास के सहायक प्रोफ़ेसर निखिल मेनन यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया की वेबसाइट पर लिखते हैं, ”भारत साधु समाज की स्थापना सन् 1956 के आरंभ में दिल्ली के बिड़ला मंदिर में कांग्रेस के राजनेताओं और साधुओं के बीच एक बैठक के बाद हुई थी। नेहरू की नापसंदगी के बावजूद डॉ. राजेंद्र प्रसाद और गुलजारीलाल नंदा जैसे धर्मभीरू कांग्रेस नेताओं ने इस संगठन को बढ़ावा दिया। साधु समाज की स्थापना कांग्रेस और हिंदू साधुओं के इसी साझा विश्वास पर की गई थी कि यह साधु समाज लाखों धर्मनिष्ठ लोगों के बीच पंचवर्षीय योजनाओं को लोकप्रिय बनाने में मदद करेगा।”
हालांकि कांग्रेस का यह आकलन गलत साबित हुआ। उन्हें समझ आ गया कि इस नीति से वह हिंदू दक्षिणपंथी जनसंघ (बाद में भाजपा) के हाथों में खेल रहे हैं। 7 नवंबर, 1966 को गाय के मुद्दे पर इसी ‘भारत साधु समाज’ के नेतृत्व में साधुओं के झुंड ने संसद पर हमला किया था। तब केंद्र में इंदिरा की सरकार थी। गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी गुलजारीलाल नंदा के पास थी। इस घटना में हुई हिंसा के बाद साधु समाज को संक्षरण देने वाले नंदा को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। अटल बिहारी वाजपेयी (जनसंघ नेता) ने संसद में भीड़ का नेतृत्व करने वाले एक नेता का बचाव किया था।
विहिप का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष उद्देश्य
विहिप अपना उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना, हिंदू धर्म की रक्षा करना, और समाज की सेवा करना बताता रहा है। विदेशों में रहनेवाले हिंदुओं से तालमेल रखना भी संगठन अपना मुक्य कार्य है।
इन उद्देश्यों से इतर इस संगठन का नाम कई हिंसक घटनाओं में आता रहा है। 1990 के दशक के उत्तरार्ध से बड़े पैमाने पर ईसाई विरोधी हिंसा और 2002 में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा में वीएचपी के कथित कार्यकर्ताओं का नाम आया था। 1999 में ओडिशा के क्योंझर जिले में मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो बेटों को जिंदा जला दिया गया था। इस मामले में दोषी व्यक्ति कथित तौर पर बजरंग दल (विहिप की एक शाखा) का सदस्य था। इसके अलावा वीएचपी खुद भी स्वीकार करता है कि उसने लाखों लोगों का धर्म परिवर्तन कराया है।
शुरुआती विहिप के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि इसकी कल्पना एक उग्र संगठन के रूप में नहीं की गई थी, बल्कि एक सामाजिक-धार्मिक संगठन के रूप में की गई थी, जिसे आरएसएस के हिंदू राष्ट्रवाद के एजेंडे में शांति से शामिल होना था। लेकिन कलांतर में वीएचपी आरएसएस की छाया से निकलकर हिंदुओं को एक राजनीतिक समुदाय के रूप में पुनर्जीवित करने करने वाले संगठन साबित हुआ।
कैसे बदला स्वरूप?
1980 के दशक की बात है। विहिप गांव-गांव, शहर में यह बताना शुरु कर चुका था कि “हिंदू धर्म खतरे में है” इस बीच राजीव गांधी सरकार की सरकार में 31 जनवरी 1986 बाबरी मस्जिद का गेट खुलवा दिया गया। यही वह ट्रीगर प्वाइंट था, जहां से वीएचपी बुलेट की रफ्तार से बढ़ी। 1989 में में वीएचपी ने बाबरी मस्जिद में शिलान्यास कार्यक्रम का आयोजन कर और रातों-रात मीडिया में छा गया। इसके बाद उसने 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को आगे बढ़ाया। और अंत में 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस में भूमिका निभायी।
जैसे-जैसे विहिप का रामजन्मभूमि अभियान तेज होता गया, भाजपा राजनीतिक रूप से बढ़ती गई। विहिप उत्साहपूर्वक प्रचार करता गया और भाजपा को चुनावी जीत मिलती गयी। बाद में इसके कुछ नेता – मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, महंत अवैद्यनाथ और विनय कटियार – भाजपा के सफल सांसद और विधायक बने। अब वीएचपी दावा करता है कि उसके द्वारा आयोजित राम शिला पूजन और शिलान्यास के कारण ही राजीव गांधी चुनाव हार गए थे।
वीएचपी की मुस्लिम विरोधी गतिविधियां
विश्व हिंदू परिषद कई तरह से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दुष्प्रचार में शामिल रहा है। वीएचपी यह घोषणा करता रहा है कि मुस्लिम “आक्रमणकारियों” ने हमला और अयोध्या के राम मंदिर, मथुरा में कृष्ण मंदिर और वाराणसी में काशी-विश्वनाथ मंदिर पर कब्जा किया था। हाल के वर्षों में विहिप ने लव जिहाद (तथाकथित हिंदू लड़कियों का अपहरण और उनका इस्लाम में धर्मांतरण) और भूमि जिहाद (मुसलमानों द्वारा हिंदू संपत्ति, जमीन और घर खरीदना) के खिलाफ अभियान शुरू किया है।
वीएचपी के आदर्श वाक्य में है झोल
‘धर्मो रक्षति रक्षितः’ संस्कृत का यह वाक्यांश हिंदूवादी संगठन ‘विश्व हिंदू परिषद’ का आदर्श वाक्य है। आसान भाषा में इसका अर्थ होता है ‘रक्षित धर्म, रक्षक की रक्षा करता है’ संस्कृत का यह लोकप्रिय वाक्यांश मनुस्मृति के 8वें अध्याय के 15वें श्लोक का हिस्सा है। पूरा श्लोक इस प्रकार है:
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ।
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ।
मनुस्मृति उन ग्रंथों में से एक है, जिसका इस्तेमाल अंग्रेजों ने हिंदुओं के लिए कानून बनाने हेतु किया। दिलचस्प यह है कि मनुस्मृति का यह वाक्यांश ‘नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी’ का भी आदर्श वाक्य है। साथ ही भारतीय खुफिया एजेंसी RAW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) का भी मोटो है। श्लोक में ‘धर्म’ का आशय हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, बौद्ध, जैन आदि से नहीं है। बल्कि कर्त्तव्य, नैतिक नियम, आचरण आदि से है। जिस ग्रंथ से इस श्लोक को लिया गया है, वह भी कर्त्तव्य, नियम, आचरण से ही संबंधित है। लेकिन विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने हमेशा इस श्लोक को हिंदू धर्म की रक्षा के आह्वान से जोड़ा है।