Low Sperm Count in Hindi: विभिन्न जीवन शैली और कई अन्य कारण जैसे हार्मोनल असंतुलन, कोई बीमारी, चोट, यौन रोग, पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं- मधुमेह, उच्च तापमान में काम करना, आनुवंशिक कारक, एक्स-रे के लिए पर्यावरणीय जोखिम या औद्योगिक कारक जैसे- रसायन आदि। पुरुषों में बांझपन बढ़ने लगे हैं।
शुक्राणु या वीर्य जो एक पुरुष संभोग के दौरान रिलीज करता है, उसमें सामान्य से कम शुक्राणु होते हैं और इस स्थिति को ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) कहा जाता है। शुक्राणुओं की संख्या सामान्य होनी चाहिए, क्योंकि फ़ीमेल एग पेनीट्रेट के लिए आगे नहीं आते हैं। बल्कि मेल एग आगे जाते हैं और फ़ीमेल एग में पेनीट्रेट करते हैं। इसलिए, जब शुक्राणुओं की संख्या सामान्य से कम होती है, तो मेल एग पेनीट्रेट करने के लिए ट्रेवल नहीं कर पाता है जिसकी वजह से पुरुषों में इंफर्टिलिटी की समस्या बढ़ जाती है।
किस वजह से कम होता है स्पर्म काउंट? | Main causes of Low Sperm Count in Men
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर शर्मिला मजूमदार (Dr. Sharmila Majumdar) के मुताबिक पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने के कई कारण हैं लेकिन उनमें से पहला है बायोलॉजिकल कारण में वैरीकोसेल, स्पर्म डक्ट में कोई समस्या, हार्मोन असंतुलन, ट्यूबस इम्पेरिमेंट, इन्फेक्शन, बर्थ डिफेक्ट आदि हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य कारण जैसे कि ट्रक चलाना, वेल्डिंग जो कि स्पर्म प्रोडक्शन पर असर डालते हैं। कई बार रेडिएशन, हॉट टब में स्नान करना, एक्स-रेज, धूम्रपान, शराब, अधिक काम का दबाव, नींद की कमी भी स्पर्म काउंट के कम होने का कारण बन सकते हैं।
क्या Masturbation से Sperm Count कम होता है ? | Does Masturbation lower Sperm Count?
मुंबई के श्री आईवीएफ़ क्लिनिक के साइन्टिफिक डायरेक्टर डॉक्टर जय मेहता (Dr. Jay Mehta) के मुताबिक मास्टरबेशन (Masturbation) एक काफी सामान्य यौन आदत है जो पुरुषों में 14-15 साल की उम्र में शुरू होती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मास्टरबेशन और लो स्पर्म काउंट के बीच कोई संबंध नहीं है। मानव शरीर हर दिन करोड़ों में शुक्राणु पैदा करता है।
जब भी कोई मास्टरबेट करता है तो वीर्य निकलता है, जो शरीर में बनने वाला एक स्राव है। वीर्य स्राव में शुक्राणु के अलावा भी कई कारक होते हैं जैसे पानी, फ्रुक्टोज, कोशिकाएं, प्रोटीन, विटामिन और खनिज। लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि बार-बार हस्तमैथुन करने से शुक्राणुओं की मात्रा कम हो सकती है। अगर किसी का स्पर्म प्रोडक्शन नार्मल है तो मास्टरबेशन करने से यह बिल्कुल भी कम नहीं होगा। अगर आप बार-बार मास्टरबेशन करते हैं तो स्पर्म काउंट पर कोई असर नहीं पड़ता है, लेकिन स्पर्म वॉल्यूम (मात्रा) पर असर पड़ सकता है।
शुक्राणु की जांच | Diagnosis of low sperm count in Hindi
जब प्राकृतिक असुरक्षित संभोग के एक वर्ष के बाद गर्भधारण नहीं होता है, तो पुरुष और महिला दोनों भागीदारों को प्रजनन क्षमता के लिए परीक्षण करने की आवश्यकता होती है। स्त्री रोग विशेषज्ञ या इनफर्टिलिटी काउंसलर वीर्य विश्लेषण परीक्षण (Semen Analysis Test) करवाते हैं। जिसमें प्राप्त कम शुक्राणुओं की संख्या के आधार पर ओलिगोस्पर्मिया का निदान किया जाता है।
शुक्राणु की कमी के लक्षण (Symptoms of low sperm count in Hindi)
नई दिल्ली के Urology & Andrology Care के डॉ विजयंत गोविंदा गुप्ता के मुताबिक कम शुक्राणुओं की संख्या के मुख्य लक्षणों में से एक गर्भधारण में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा और कोई लक्षण या लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं। कुछ पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कम होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे हार्मोन में बदलाव या शुक्राणु के मार्ग में रुकावट।
सामान्य शुक्राणु की संख्या कितनी होती है (Number of Normal Sperm Count in Hindi)
डॉ विजयंत गोविंदा के अनुसार एक पुरुष के स्पर्म में सामान्य शुक्राणुओं की संख्या 15 मिलियन शुक्राणु से लेकर 200 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर तक होती है। अगर किसी पुरुष के एक मिली लीटर वीर्य में 15 लाख से कम शुक्राणु होते हैं तो उसे कम शुक्राणुओं की समस्या होती है।
शुक्राणु को कैसे बढ़ाएं (How to increase sperm count in Hindi)
- स्वस्थ आहार
- धूम्रपान से बचें
- शराब से बचें
- आराम करने वाले व्यायाम
- लैपटॉप और मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से बचें
- कोई स्टेरॉयड दुरुपयोग नहीं
- दवाओं के ओवरडोज से बचें
- वैरीकोसेल का सही उपचार कराएं
डॉ विजयंत गोविंदा के मुताबिक नई दवाओं और उपचारों से शुक्राणुओं की कमी ठीक हो सकती है। जिसमें एल कार्निटाइन (L Carnitine), Clomiphene, Aromatase Inhibitors and BHCG, टेस्टोस्टेरोन बूस्टर, वैरिकोसेले माइक्रोसर्जरी आदि शामिल है। लेकिन पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेना न भूलें।
शुक्राणु बढ़ाने के लिए क्या खाएं (Diet to increase sperm count in Hindi)
आचार्य बालकृष्ण के अनुसार स्पर्म काउंट के बढ़ाने के लिए इन चीजों को डाइट में शामिल कर सकते हैं। अनाज में मक्का, बाजरा, पुराना चावल, गेहूं, रागी, जई और सोयाबीन, मूंग, मसूर दाल, अरहर, उड़द, चना को शामिल करने से स्पर्म काउंट बढ़ा सकते हैं। साथ ही फल एवं सब्जियों में लौकी, तोरई, परवल, करेला, कददू, गाजर, चकुंदर, ब्रोकली, पत्तागोभी, बादाम, खजूर, आम, अंगूर, अखरोट, कददू के बीज, अंजीर, करोंदा, अनार शामिल करना न भूलें।