Union Budget 2023-24: आम बजट 2023 (Union Budget 2023) की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। मोदी सरकार (Narendra Modi Government) 1 फरवरी 2023 को अपने मौजूदा कार्यकाल का आखिरी संपूर्ण बजट पेश करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की अगुवाई में फाइनेंस मिनिस्ट्री बजट को आखिरी रूप देने में जुटी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल 1999 से पहले बजट शाम को 5 बजे पेश किया जाता था और तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने इस परंपरा को पलट दिया था।
क्यों शाम 5 बजे पेश किया जाता था बजट?
भारत में आजादी के पहले से शाम 5 बजे बजट पेश करने की परंपरा चल रही थी। शाम 5 इसलिए बजट पेश किया जाता था, क्योंकि जब भारत में शाम होती थी तो उस समय ब्रिटेन में दिन का व्कत होता था। ब्रिटिश हुकूमत की सहूलियत को देखते हुए यह परंपरा बनी बनी थी। लेकिन देश की आजादी के बाद भी यही परंपरा चलती रही और किसी ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया था।
साल 1999 में जब तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने बजट की तैयारी शुरू की तो उनका ध्यान समय पर गया। साल 1991 में बजट पेश कर चुके यशवंत सिन्हा को शुरू से शाम 5 बजे बजट पेश करने का आइडिया पसंद नहीं था। उन्होंने वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से इस पर बातचीत शुरू की, जिसमें वित्त सचिव विजय केलकर डी स्वरूप शामिल थे, जो तमाम बजट को बनते देख चुके थे।
बजट के बाद इंटरव्यू में हो जाती थी रात
यशवंत सिन्हा को शाम 5 बजे बजट पेश करने की बात इसलिये भी खटक रही थी, क्योंकि बजट के ठीक बाद एक के बाद एक तमाम टीवी-रेडियो इंटरव्यू होते थे, जिसमें आधी रात निकल जाती थी और वित्त मंत्री के लिए यह बेहद थकाऊ काम था। अफसरों से बातचीत के बाद यशवंत सिन्हा ने तय किया कि बजट शाम की जगह सुबह पेश किया जाए और उन्होंने सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी (Atal Bihari Vajpayee) वाजपेयी को भरोसे में लिया।
वाजपेयी की मंजूरी और लागू हो गया फैसला
जब प्रधानमंत्री वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) दिन में बजट पेश करने के लिए तैयार हो गए तो लोकसभा के स्पीकर और राज्य सभा के चेयरमैन को अप्रूवल के लिए पत्र लिखा और 27 फरवरी 1999 को यशवंत सिन्हा ने साल 1999-2000 का बजट पहली बार दिन में पेश किया।