पाइल्स (Piles) यानी बवासीर (Haemorrhoids) एक ऐसी बीमारी है जिसमें गुदा के अंदरूनी, बाहरी हिस्से और मलाशय (रेक्टम) के निचले हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। कई बार मस्से बन जाते हैं और असहाय दर्द होता है। पाइल्स () को लक्षणों के आधार पर कुल चार कैटेगरी में बांटा गया है। आंतरिक बवासीर (Internal Haemorrhoids), बाहरी बवासीर (External Haemorrhoids), प्रोलैप्स्ड बवासीर (Prolapsed Hemorrhoids) और थ्रोम्बोस्ड बवासीर Thrombosed Hemorrhoids)।
किस उम्र में पाइल्स का सर्वाधिक खतरा? (What is the age of piles starting?)
जॉन हॉपकिंस मेडिसिन (John Hopkins Medicine) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाइल्स का सर्वाधिक खतरा 45 से 65 साल की उम्र में होता है। रिपोर्ट के मुताबिक बवासीर के कुल मरीजों में से आधे में 50 की उम्र में पाइल्स की समस्या देखी गई।
महिलाओं को क्यों होती है पाइल्स? What causes piles in females?
Hopkins Medicine के मुताबिक महिलाओं में खासकर प्रेगनेंसी या डिलीवरी के दौरान बवासीर होने का खतरा ज्यादा रहता है। प्रेगनेंसी के चलते ब्लड वेसल्स पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। यही प्रक्रिया डिलीवरी के समय पुश करते वक्त भी होती है। इससे ब्लड वेसल्स में सूजन आ जाती है, जो पाइल्स का रूप ले सकती है।
किन लोगों को पाइल्स का ज्यादा खतरा? (Who is at risk for hemorrhoids?)
- प्रेग्नेंट महिलाएं
- जो लोग टॉयलेट पर ज्यादा देर बैठते हैं
- मोटापा
- जो लोग हैवी वजन उठाते हैं या जिम जाने वाले
- परिवार में किसी को पाइल्स रहा है
- क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन यानी कब्ज की शिकायत या डायरिया
पाइल्स का इलाज न किया तो क्या हो सकता है? (What Happens If You Leave Piles Untreated?)
डॉक्टरों के मुताबिक पाइल्स का समय से इलाज न किया जाए तो यह दूसरी बीमारियों की जड़ बन सकता है। medfin.in की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाइल्स की वजह से होने वाली सबसे कॉमन बीमारी एनीमिया है। इसका खतरा सर्वाधिक खूनी बवासीर के मरीजों को रहता है। खूनी बवासीर के केस में ब्लड काउंट कम हो जाता है, जो एनीमिया की तरफ ले जा सकता है। इसके अलावा अगर पाइल्स का समय पर इलाज न किया जाए तो गैंगरीन का खतरा भी हो सकता है।
पाइल्स का घर पर पर कैसे उपचार करें? (How can I reduce piles naturally?)
- खानपान में हाई फाइबर फूड्स शामिल करें
- दर्द और खुजली से निजात के लिए गर्म पानी से सिंकाई करें
- हल्के-सूती कपड़े पहनें, टाइट कपड़ों से बचें
- दूध, चीज, प्रोसेस्ड मीट से बचें
- तला-भुना और बहुत मिर्च-मसाले वाला खाना न खाएं