जब शशि कपूर ने रेखा को कह दिया था काली-फूहड़ एक्ट्रेस, सुन झेंप गई थीं पत्नी, संभालनी पड़ी थी बात
शशि कपूर की नजर रेखा पर पड़ी और उनके मुंह से निकला, 'ये मोटी, काली और फूहड़ एक्ट्रेस कैसे इंडस्ट्री में अपना मुकाम बनाएगी?'

बॉलीवुड एक्ट्रेस रेखा की खूबसूरती का आज भी कोई मुकाबला नहीं है। वह अपने फैशन स्टेटमेंट के लिए जानी जाती हैं। हालांकि एक वक्त था जब कोई उन्हें कैमरा के सामने खड़ा भी नहीं करना चाहता था। एक अदद रोल के लिए रेखा अपनी मां के साथ प्रोड्यूसर-डायरेक्टर्स के दफ्तर के चक्कर काटतीं, लेकिन कोई उन्हें साइन नहीं करना चाहता था। कई फिल्म डायरेक्टर्स ने रेखा की मां पुष्पावली से कहा था कि वो हिरोइन जैसी दिखती ही नहीं हैं। इसका कारण उनका सांवला रंग और वजन था।
उस वक्त रेखा की उम्र महज 14 साल थी। उनका परिवार कर्ज के बोझ तले दब गय़ा था। परिवार को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। ऐसे में रेखा की मां पुष्पावल्ली ने उनकी पढ़ाई छुड़वा दी और काम करने के लिए कह दिया। लेकिन असली मुश्किलें इसके बाद शुरू हुईं। रेखा की जीवनी, ‘रेखा: कैसी पहेली जिंदगानी में’ वरिष्ठ पत्रकार और लेखक यासिर उस्मान लिखते हैं, ’14 साल की रेखा जबरदस्त गर्मी में स्टूडियो के बाहर अपने ऑडिशन का इंतजार करतीं। उन्हें निर्माता-निर्देशकों की बेरुखी का सामना करना पड़ता।’
पिता की बोलती थी तूती, लेकिन नहीं की मदद: जिस वक्त रेखा एक अदद रोल के लिए निर्माता-निर्देशकों के दफ्तरों के चक्कर काट रही थीं, उस वक्त उनके पिता जेमिनी गणेशन की तमिल सिनेमा में तूती बोलती थी। वो तमिल सिनेमा के टॉप 3 एक्टर्स में से एक थे। लेकिन न तो उन्होंने रेखा की मां पुष्पावल्ली को अपनाया और न ही रेखा की कोई मदद की। अलबत्ता कई डायरेक्टर-प्रोड्यूसर्स तो रेखा को इसलिये साइन नहीं करते थे कि कहीं जेमिनी नाराज न हो जाएं।
यासिर उस्मान लिखते हैं कि एक तरफ रेखा के परिवार की मुश्किलें बढ़ रही थीं। तो दूसरी तरफ उन्हें बमुश्किल कन्नड़ और तमिल फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिल रहे थे। इससे इतने पैसे नहीं मिलते कि परिवार का गुजर-बसर हो सके और कर्ज चुकाया जा सके। इसके बाद रेखा की मां ने तय कर लिया वो उन्हें इस इंडस्ट्री से दूर मुंबई ले जाएंगी।
मुंबई में भी अतीत ने नहीं छोड़ा पीछा: रेखा मुंबई तो पहुंच गईं, लेकिन यहां भी उनके अतीत ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। उनके बैकग्राउंड से लेकर शक्लो-सूरत पर तमाम तरह के सवाल उठाए जाने लगे। खासकर उनकी मां पुष्पावल्ली औऱ जेमिनी गणेशन के संबंधों का जिक्र कर उन्हें उलाहना दिया जाता। ऐसा ही एक मौका साल 1970 में आई फिल्म ‘सावन-भादों’ के प्रीमियर पर हुआ।
रेखा पर टिक गईं निगाहें: फिल्म के डायरेक्टर मोहन सहगल ने तमाम आलोचनाओं को दरकिनार कर इस फिल्म में रेखा को साइन किया था। फिल्म रिलीज से पहले मुंबई के मशहूर नॉवेल्टी थियेटर में इसका प्रीमियर रखा गया और इसमें तमाम बॉलीवुड हस्तियों को आमंत्रित किया गया। यासिर उस्मान लिखते हैं कि प्रीमियर पर फिल्म के हीरो नवीन निश्चल सूट पहने बेहद हैंडसम लग रहे थे, लेकिन मेहमानों की निगाह रेखा पर टिक गई। 33 इंच की कमर और सांवले रंग वाली 15 साल रेखा की रेखा बेतरतीब तरीके से नीले रंग का गरार पहने थियेटर के गेट पर खड़ी थीं।’
शशि कपूर ने कह दिया काली-फूहड़: इस प्रीमियर पर शशि कपूर भी अपनी पत्नी जेनिफर के साथ पहुंचे थे। वो मोहन सहगल से मिलने के बाद जैसे ही आगे बढ़े, उनकी नजर रेखा पर पड़ी और उनके मुंह से निकला, ‘ये मोटी, काली और फूहड़ एक्ट्रेस कैसे इंडस्ट्री में अपना मुकाम बनाएगी?’ यासिर उस्मान लिखते हैं, ‘शशि कपूर ने ये बात मोहन सहगल से कही थी, लेकिन उनकी पत्नी जेनिफर को एहसास हुआ कि रेखा ने ये बात सुन ली है।’
जेनिफर ये सुन झेंप गईं। वो कुछ वक्त तक रेखा को ध्यान से देखती रहीं फिर बात संभालते हुए अपने पति से बोलीं कि आने वाले वक्त में ये लड़की इंडस्ट्री पर राज करेगी। शशि जेनिफर की बात सुनकर मुस्करा दिये। किसे पता था कि जेनिफर की बात सच साबित होगी। सावन-भादों जबरदस्त हिट रही। इसके बाद रेखा ने एक से बढ़कर एक फिल्में कीं और इंडस्ट्री में न सिर्फ अपने टैलेंट का लोहा मनवाया, बल्कि खूबसूरती, एलिगेंट और ग्रेस की अलग इबारत लिखी।