लता मंगेशकर भारत की उन नामचीन हस्तियों में एक हैं जिन्होंने अपने हुनर से पूरी दुनिया को अपना दीवाना बनाया था। आज स्वर कोकिला लता मंगेशकर भले ही हमारे बीच ना हो लेकिन उनके किस्से और उनकी आवाज का जादू आज भी बरकरार है। करीब 7 दशक तक जिनकी गायकी का सफर बिना रुके चलता रहा हो उसे लेकर तमाम लोगों के पास कई तरह की यादों का होना कोई अजूबा नहीं हैं।
इसी कड़ी में आज हम आपको बताते हैं कि एक बार ऐसा हुआ जब लता अपनी दोस्त नूरजहां से मिलने पहुंची थीं और उन्होंने पाकिस्तान जाने से इंकार कर दिया था।
बंटवारे में अलग हो गई थीं लता मंगेशकर से नूरजहां: स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने जब फिल्मों में गाना शुरू किया था तब वह नूरजहां से बहुत प्रभावित थीं। नूरजहां ने भी लता जी की गायकी को सराहा साथ ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद भी की थी। लता दीदी जिन लोगों को अपने जीवन में विशेष स्थान देती थीं, उनमें से एक नूरजहां भी थीं। भारत-पाक बंटवारे दौरान लता-नूरजहां एक दूसरे से अलग हो गई थीं। लता मंगेशकर को जहां भारत में स्वर कोकिला का दर्जा मिला वहीं नूरजहां को पाकिस्तान में मल्लिका-ए-तरन्नुम के नाम मिला था।
लता मंगेशकर ने पाकिस्तान जाने से कर दिया था मना: स्कार्स ऑफ़ 1947: रियल पार्टिशन स्टोरीज़ किताब के अनुसार लता जी एक बार अपनी दोस्त नूरजहां से मिलने पाकिस्तान के बॉर्डर पर पहुंची थीं। चूंकी लता जी के पास वीजा-पासपोर्ट नहीं थे तो इसलिए उन्होंने पाकिस्तान जाने से मना कर दिया था। लता ने नूरजहां से बात की तब तय हुआ कि नूरजहां भी बार्डर पर ही आ जाएं। दोनों की मुलाकात के लिए नो मेन्स लैंड को चुना गया। उधर से नूरजहां पति के साथ आईं और इधर से लता।
बॉर्डर पर खाया खाना: लता मंगेशकर खाने की बहुत शौकीन थी। दोनों एक-दूसरे के साथ लजीज खाने का सेवन करना पसंद करती थीं। नूर जहां ने बिरयानी बनाई हुई थी और लता जी वो बिरयानी खाना चाहती थीं। मगर बॉर्डर से कोई भी सामान का आदान-प्रदान करना मुमकिन नहीं था। लेकिन लता जी और नूर जहां की गुजारिश पर वाघा बॉर्डर पर स्थित नो मैन्स लैंड में दोनों पहुंचीं और दोनों ने बिरयानी खाई।