कोविड-19 के कारण फिल्म उद्योग का जो बुरा दौर चला, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। फिल्म उद्योग से जुड़े सभी लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। कोरोना के बाद हालात सुधरे, फिर भी फिल्मों का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन बेअसर और निराशाजनक रहा। नतीजा यह हुआ कि फिल्म निर्माता से लेकर सिनेमाघरों के मालिकों तक सभी ऐसे तरीके ढूंढने लगे, जिसके बाद दर्शक सिनेमाघरों तक पहुंचे। कहना गलत नहीं होगा कि अन्य चीजों के बिक्री की तरह फिल्मों के टिकट की भी बिक्री भी अलग- अलग तरीके से देखने को मिली। पेश है इसी पर एक नजर….
दो दशक पहले तक किसी फिल्म का मनोरंजन कर से मुक्त होना फायदे का सौदा था क्योंकि उस वक्त राज्यों में 160 फीसद तक कर लगता था। लेकिन तीन सालों में कानूनी बदलाव के बाद 50 रुपए से कम तक के टिकट वाले सभी सिनेमाघर कर मुक्त हैं। ऐसे में यहां पर कर सिर्फ फीसद है। छोटे शहरों में एकल पर्दे वाले थिएटर में 50 रुपए या उससे कम के टिकट का भाव है। कई पर्दो वाले छविगृहों में भी सोमवार से गुरुवार तक टिकट का मूल्य कम है।
ऐसे में आज के समय में अगर फिल्म टैक्स फ्री हो भी जाती है तो इससे सिनेमा मालिकों को या फिल्म बनाने वालों को कोई खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन आज के दौर में दर्शकों को सिनेमाघर तक लाने के लिए कई बार वितरक और फिल्म प्रदर्शक अपना हिस्सा कम कर टिकट के दाम भी कम कर देते हैं। इसका फायदा यह होता है कि दर्शक कम पैसा देने के चक्कर में फिल्में देखने आ जाते हैं। जैसे कि ब्रह्मास्त्र, कश्मीर फाइल्स, दृश्यम 2 के टिकट दाम कम होने से जबरदस्त फायदा मिला।
क्योंकि 23 सितंबर 2022 को राष्ट्रीय सिनेमा दिवस मनाने के लिए मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन आफ इंडिया ने 4000 से ज्यादा स्क्रीन के टिकट 75 कर दिए थे, जिसका जबरदस्त फायदा इन फिल्मों को मिला। दृश्यम 2 की कहानी में दो अक्तूबर का दिन खास है जिसका फायदा उठाते हुए निर्माताओं ने 2 और 3 अक्तूबर को अग्रिम बुकिंग करने वालों को 50 फीसद की छूट दी। इसका फायदा फिल्म को मिला। इसी तरह ‘भूल भुलैया 2’ ने भी अपनी टिकट दर कम रखें जोकि केजीएफ 2 के टिकट से आधे दाम के थे इसका फायदा ‘भूल भुलैया 2’ को मिला।
हाल में फिल्म पठान ने जहां 1000 के करोड़ का वैश्विक कमाई कर ली। सूत्रों के अनुसार बाहुबली 2 का कीर्तिमान तोड़ने की इच्छा के तहत पठान के निर्माता को कमाई बढ़ाने के लिए एक रणनीति अपनानी पड़ी। पठान के निर्माता ने 7 फरवरी को पठान दिवस महोत्सव का नाम देकर इस दिन के लिए टिकट का दाम सिर्फ 110 रुपए कर दिया । इसे देखते हुए जिस दर्शक ने फिल्म नहीं देखी थी और जो दूसरी बार देखना चाहता था, उसने इस मौके का पूरा फायदा उठाया। लेकिन इस रणनीति के कारण उस दिन प्रदर्शित हुई कार्तिक आर्यन की फिल्म शहजादा पर असर पड़ा और इसे नुकसान उठाना पड़ा।
हालांकि शहजादा के निर्माता ने पठान के सस्ते टिकट के मुकाबले एक दिन के लिए एक टिकट पर एक टिकट फ्री की घोषणा कर दी थी, लेकिन इसके बावजूद पठान के सामने इस फिल्म को फायदा नहीं मिल पाया। क्योंकि पठान के अलावा हालीवुड फिल्म एंट मैन एंड द वास्प कोटमेनिया फिल्म के बुधवार रात तक ही बड़ी संख्या में टिकट बिक चुके थे, जिसके कारण पठान और हालीवुड फिल्म के बीच फिल्म शहजादा पिस गई। इसी तरह जब कश्मीर फाइल्स प्रदर्शित हुई थी और इस फिल्म को कई राज्यों में कर मुक्त भी कर दिया गया था, उसी दौरान अक्षय कुमार की फिल्म बच्चन पांडे रिलीज हुई थी, जिसका कश्मीर फाइल्स के कारण बुरा हाल हो गया।
कश्मीर फाइल्स के अलावा दंगल, नीरजा, छपाक, मैरी काम, तारे जमीन पर, मरदानी, निल बटे सन्नाटा आदि फिल्मों को भी कई राज्यों में कर मुक्त किया गया। दरअसल जब कोई फिल्म सामाजिक रूप से प्रासंगिक और प्रेरक विषय से संबंधित होती है, तो राज्य सरकारें इसे दर्शकों के लिए सुलभ बनाने के लिए कर मुक्त कर देती है । लेकिन इन फिल्मों के साथ प्रदर्शित हुई बाकी फिल्मों पर टिकट दाम कम न होने से नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि ज्यादातर दर्शक कम दाम वाले टिकट ही लेना पसंद करते है।
आरती सक्सेना