उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर उठापटक जारी है। चुनाव से पहले कई प्रत्याशियों ने अपने पाले भी बदले हैं। इसी में भाजपा छोड़कर सपा में शामिल होने वालों में स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंग सैनी, दारा सिंह चौहान के साथ पांच अन्य विधायकों ने अखिलेश की पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है। एक चैनल के साक्षात्कार में एंकर ने इन्हीं दल बदल को लेकर भाजपा के मुख्यमंत्री कैंडिडेट और प्रदेश के वर्तमान मुखिया योगी आदित्यनाथ से सवाल किए तो उन्होंने कुछ इस तरह से जवाब दिया-
टाइम्स नाउ नवभारत पर एडिटर इन चीफ नाविका कुमार ने योगी आदित्यनाथ से सवाल करते हुए कहा कि मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि तीन ओबीसी लीडर आपके कैबिनेट में मंत्री थे, वो पार्टी छोड़कर चले गए। स्वामी प्रसाद मौर्या जी हों या सैनी जी हों या दारा सिंह चौहान साहब हों….ये ओबीसी लीडर हैं और जो भी बाहर निकला है उन्होंने कहा है कि वह स्वेच्छा से जिस भी समस्यों को उठाते थे; कैबिनेट की मीटिंग्स में उनका या उनकी बातों को का वजन नहीं होता था। मीटिंग्स में उनकी बातें मानी नहीं जाती थी और आपने 5 साल तक ओबीसी समाज के लिए कुछ नहीं किया, क्या ये धक्का नहीं है आपके लिए?
ऐसे लोग अवसरवादी: इसपर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देखिए इस प्रकार की अवसरवादिता से सरकारें नहीं चलती हैं, सरकार जिस दिन हम लोगों ने गठित की थी। मैंने इन सभी लोगों को (सभी मंत्री) और सभी अधिकारियों को लोक कल्याण संकल्प पत्र की एक- एक प्रति उपलब्ध करा दी थी और सबसे मैंने अनुरोध किया था कि भाई आप सभी इसको पढ़कर के आइये…. दिनभर अपने ऑफिस में बैठेंगे लेकिन शाम को 6 बजे के बाद मेरे कार्यालय में एक-एक विभाग के प्रजेंटेशन होने हैं।
बैठक में सब साथ बैठते थे: उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा कि एक महीने तक मैंने हर विभाग के प्रजेंटेशन को देखा था। एक महीने तक 6 घंटे तक (रात्रि 12 बजे तक) सारे मंत्री बैठते थे…और मैंने कहा था इसी दौरान लक्ष्य तय होने हैं तुरंत चर्चा होती थी, ऐसा नहीं है कि देरी होती थी। एक तरफ प्रशासनिक अधिकारी बैठते थे, सामने मेरे साथ मंत्री बैठेते थे…और मैं पूछता था कि जिसको जो जानकारी लेनी हो वो बोल दो, क्योंकि इसी के अनुसार आपको अपनी पॉलिसी तय करनी होगी।
योगी ने लगाए मंत्री की योग्यता पर प्रश्नचिन्ह: कैबिनेट पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि देखिए कैबिनेट की बैठक होती है तो मंत्री को इतना मालूम होना चाहिए कि मंत्री प्रस्ताव प्रस्तुत करता है। अगर प्रस्ताव आप प्रस्तुत कर रहे हैं और आपको जानकारी नहीं है। तो इसका मतलब आपकी योग्यता पर स्वयं प्रश्नचिह्न खड़ा हो रहा है। मुख्यमंत्री किसी विभाग का प्रस्ताव लेकर नहीं आता है। वो विभाग लेकर आता है।