Uttar Ramayan 1st May 2020 Episode Update: रघुकुल के अहंकार को लव कुश ने किया चूर-चूर; भरत, हनुमान और सुग्रीव एक साथ हुए पराजित
Uttar Ramayan 1st May 2020 Episode 13 Online Update: लव और कुश शत्रुघ्न को युद्ध में मूर्छित कर देते हैं। इसकी सूचना राजमहल पहुंचाई जाती है। इसके बाद लक्ष्मण युद्ध स्थल पर पहुंचते हैं और दोनों बालकों को पहले घोड़े को छोड़ने की बात कहते हैं।

Uttar Ramayan 1st May 2020 Episode 13 online Updates: वाल्मीकि लव कुश को दिव्य अस्त्र प्रदान करते हैं। वह कहते हैं, दिव्य अस्त्र प्रदान करूंगा जो इस संसार में किसी के पास नहीं हैं। ये सभी अस्त्र इच्छानुसार रूप धारण करने वाले हैं। इनका अह्वान करने पर ये शत्रु पर हमला करते हैं। साथ ही इससे नाग, राक्षस सब पर विजय पा सकते हो। ऋषि कहते हैं कि इन अस्त्रों का प्रयोग अहंकार वश नहीं करोगे। ना ही निर्बल और निर्दोष लोगों पर करोगे। इन सबकी वह प्रतिज्ञा दिलाते हैं।
लव और कुश इन दिव्य अस्त्रों का प्रयोग अश्वमेध घोड़े को पकड़ने और चुनौती को स्वीकार कर युद्ध के दौरान करते हैं। वे चुनौती पढ़ते हैं और राम से युद्ध करने की बात कहते हैं। लव कुश सेनापति को घायल कर देते हैं जिसके बाद शत्रुघ्न लव कुश के पास पहुंचते हैं। लव और कुश शत्रुघ्न को भी युद्ध में मूर्छित कर देते हैं। इसकी सूचना राजमहल पहुंचाई जाती है। इसके बाद लक्ष्मण युद्ध स्थल पर पहुंचते हैं और दोनों बालकों को पहले घोड़े को छोड़ने की बात कहते हैं। लेकिन ऐसा ना करने के बाद लक्ष्मण और लव कुश के बीच युद्ध छिड़ जाता है।
लक्ष्मण लव कुश से कहते हैं कि निर्दोषों को दंड नहीं दिया जाता। लक्ष्मण से ऐसी बात सुन लव कुश कहते हैं कि फिर सीता का क्या दोष था जो उन्हें इतना बड़ा दंड दिया गया। लक्ष्मण दो नन्हें बालकों से ऐसी बात सुन हैरान हो जाते हैं। लक्ष्मण पूछते हैं कि तुम कौन हो? इस पर लव कुश कहते हैं अपराधी जो अश्व को पकड़ने का अपराध किया है। लक्ष्मण कहते हैं तुम्हें नहीं पता कि मैंने इंद्रजीत को मारा है। दोनों तरफ से युद्ध छिड़ जाता है। इस युद्ध में लक्ष्मण भी शक्ति बाण लगने से घायल हो जाते हैं। इसके बाद राजमहल से भरत के साथ सुग्रीव और हनुमान भी युद्ध स्थल पर पहुंचते हैं।
उधर, वाल्मीकि भी सीता के लिए संगम तट पर अनुष्ठान कराने चले जाते हैं। पूरे आश्रम के देखभाल की जिम्मेदारी लव और कुश पर होती है। वाल्मीकि सीता से कहते हैं कि इस अनुष्ठान के बाद जल्द ही उनकी राम से मुलाकात होगी और पिता से पुत्र का भी मिलन होगा।
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Highlights
लव कुश अयोध्या पहुंचते हैं। अयोध्यावासियों को वह सीता की करुण कथा सुनाते हैं। जिसे सुन अयोध्यावासी अपने किए पर पछताते हुए रो पड़ते हैं। राम भी लव कुश की गीतों को सुन महल में आमंत्रित करते हैं। लव कुश यहां संपूर्ण रामायण को गा कर सुनाते हैं। रामकथा को राजमहल के अधिकारी सहित आमजन भी सुन रहे होते हैं।
लव कुश रघुकुल के राजकुमारों से युद्ध की बात सीता को बताते हैंं। सीता जैसे ही सुनती हैं कि लव कुश ने शत्रुघ्न, लक्ष्मण और भरत, हनुमान से युद्ध किया है वह हौरान हो जाती हैं और रो पड़ती हैं। सीता बताती हैं कि हनुमान तो उनका पहला पुत्र है। तुमसे बड़ा। लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न भी मेरे पुत्र हैं। सीता कहती हैं ये तुमने क्या कर दिया। सीता बताती हैं कि राम ही तुम्हारे पिता है। तभी वाल्मीकि भी आ जाते हैं और सच्चाई से अवगत कराते हैं। लव और कुश ये बात सुन रो पड़ते हैं और कहते हैं क्या राम ही हमारे पिता है। लेकिन अभी तक ये बात क्यों छुपाई। वाल्मीकि कहते हैं कि हर चीज के प्रकट होने का समय होता है। और ये समय आ गया है। जाओ और अयोध्यावासियों को सीता के करुण गाथा से परिचित कराओ..
राम लव और कुश पर बाण चलाने ही वाले होते हैं कि वहां महर्षि वाल्मीकि आ जाते हैं। वह राम से कहते हैं- बालकों की बातों में आकर ये क्या अनर्थ कर रहे हैं आप? प्रभु अपराधी होने पर भी राजा का हाथ नहीं उठता। बाल हठ तो सब करते हैं लेकिन बाल हठ का प्रतिउत्तर राजहठ तो नहीं हो सकता। वाल्मीकि लव और कुश से घोड़ा पकड़ने की वजह पूछते हैं। और कहते हैं कि तुमने एक राजा की अवज्ञा की है। तुमने इनके सामने अस्त्र उठाकर अपने पिता की अवज्ञा जैसा ही कार्य किया है। लव और कुश राम से क्षमा मांगते हैं।
राम लव कुश से कहते हैं कि किस लोभ से तुमने हमारे घोड़े को पकड़ा है। दोनों बालक कहते हैं ना ही लोभ है ना ही राज्य की लालषा है। हमने चुनौती पढ़कर ही पकड़ा है। सारे संसार में आपके सिवाय ना तो कोई क्षत्रिय है ना ही कोई वीर। हम क्षत्रिय हैं इसलिए हमने घोड़े को पकड़ा है। इस चुनौती में अहंकार झलकता है। इसलिए हमने युद्ध करना चाहा। लव कुश राम से युद्ध करने को कहते हैं लेकिन वे युद्ध करने और दंड देने की अवस्था में नहीं होते हैं। यही हाल लव और कुश की भी होती है।
राम खुद युद्ध करने जाते हैं। राम कहते हैं दो बालकों ने अयोध्यो के चतुरंगी सेना को धाराशायी कर दिया है। और भरत, सुग्रीव, हनुमान की ऐसी हालत कर दिया है। तुम कोई साधारण बालक नहीं हो। हनुमान राम से कहते हैं कि प्रभु इन बालकों ने ही हमारी सेना का ये हाल किया है।
लक्ष्मण और शत्रुघ्न के मूर्छित होने के बाद भरत संग हनुमान और सुग्रीव युद्ध कर घोड़े को स्वतंत्र कराने जाते हैं। भरत, सुग्रीव सभी अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं लेकिन लव और कुश से घोड़े को आजाद नहीं करा पाते हैं। वहीं लव कुश आखिर में अपनी शक्ति बाणों से सुग्रीव और भरत को घायल कर देते हैं। उधर हनुमान को बंधक बना लेते हैं।
लव और कुश सुग्रीव और हनुमान को उनकी भक्ति और वीरता को याद कर प्रणाम करते हैं। हनुमान कहते हैं कि हम प्रभु की आज्ञा से यहां आए हैं इसलिए बिना घोड़ा लिए तो जाएंगे नहीं। हनुमान कहते हैं कि घोड़े के साथ आप भी चलिए। हनुमान अपनी दिव्य दृष्टि से पता लगा लेते हैं कि ये दोनों बालक सियाराम के पुत्र है। लव कुश कहते हैं कि हमने सुना था कि आप वीर हैं लेकिन आप चतुर भी हैं। हम आपकी बातों में नहीं आने वाले हैं। हनुमान कहते हैं कि, परंतु आपने तो परिचय दिया ही नहीं। माता पिता का नाम क्या है, क्या बताएंगे। लव और कुश कहते हैं यहां हमारी शादी की बात नहीं हो रही है कि हम यहां अपना गोत्र बताएं। जाइए और राम को भेजिए।
लक्ष्मण और लव कुश के बीच युद्ध छिड़ जाता है। इस युद्ध में लक्ष्मण भी शक्ति बाण लगने से घायल हो जाते हैं। इसके बाद राजमहल से भरत के साथ सुग्रीव और हनुमान भी युद्ध स्थल पर पहुंचते हैं। उधर, वाल्मीकि भी सीता के लिए संगम तट पर अनुष्ठान करा रहे होते है।
लक्ष्मण लव कुश से कहते हैं कि निर्दोषों को दंड नहीं दिया जाता। लक्ष्मण से ऐसी बात सुन लव कुश कहते हैं कि फिर सीता का क्या दोष था जो उन्हें इतना बड़ा दंड दिया गया। लक्ष्मण दो नन्हें बालकों से ऐसी बात सुन हैरान हो जाते हैं। लक्ष्मण पूछते हैं कि तुम कौन हो? इस पर लव कुश कहते हैं अपराधी जो अश्व को पकड़ने का अपराध किया है। लक्ष्मण कहते हैं तुम्हें नहीं पता कि मैंने इंद्रजीत को मारा है। दोनों तरफ से युद्ध छिड़ जाता है।
अश्वमेध घोड़े को दो बालकों के पकड़ने और शत्रुघ्न के घायल होने की खबर राजमहल पहुंचती है। राम क्रोधित हो जाते हैं। श्रीराम कहते हैं कौनसे राजा ने ये साहस किया है। उन्हें बताया जाता है कि दो तेजस्वी बालकों ने घोड़े को पकड़ लिया है औऱ कहा कि वहव श्रीराम से युद्ध करना चाहते हैं। लक्ष्मण कहते हैं कि भैया मैं जाता हूं। श्री राम कहते हैं कि तुम सेना साथ लेकर जाओ। लक्ष्मण मना कर देते हैं। लक्ष्मण प्रस्थान करते हैं।
राम जी सीता जी की सोने की मूर्ति बनवाते हैं। और अश्वमेध यज्ञ करने का निर्णय ले लिया। वह ऋषियों-मुनि, बुद्धिजीवियों, प्रांतों को राजाओं को सादर आमंत्रित करते हैं। इधर अश्वमेध के यज्ञ की बात सीता को पता चलती है, वहीं सीता को ये भी बताया जाता है कि अब श्रीराम का विवाह किया जा सकता है। यह सुन कर सीता को धक्का लगता है।